राजनीति में कब किसे रातों रात सत्ता में प्रभावशाली पद मिल जाए और कब किसे नेपथ्य में डाल दिया जाए, यह कोई नहीं बता सकता। फिलहाल बात हो रही है भाजपा में मुस्लिम चेहरा माने जाने वाले मुख़्तार अब्बास नक़वी और सैयद शाहनवाज़ हुसैन की, जिनका राजनीतिक सफर अब रामभरोसे माना जा रहा है।
मुख़्तार अब्बास नक़वी को राज्यसभा की टिकट नहीं मिली तो कहा गया कि उनको रामपुर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ाया जाएगा। जब वहां भी टिकट नहीं मिली और उन्होंने केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा दिया तो कहा गया कि उनको उप राष्ट्रपति बनाया जाएगा। जब वह भी नहीं हुआ तो कहा गया कि वे राज्यपाल बनेंगे। उसकी उम्मीद अभी नहीं टूटी है क्योंकि कई राज्यों में राज्यपाल, उप राज्यपाल और प्रशासक आदि नियुक्त होने हैं। इस बीच एक अन्य घटनाक्रम में सैयद शाहनवाज हुसैन ने भी सारे पद गंवा दिए हैं। बिहार में जदयू ने तालमेल तोड़ लिया, जिसके बाद भाजपा सत्ता से बाहर हो गई और शाहनवाज का मंत्री पद चला गया।
उसके तुरंत बाद दिल्ली में भाजपा ने केंद्रीय चुनाव समिति में बदलाव किया और शाहनवाज को उसमें से हटा दिया गया। सो, भाजपा के दोनों मुस्लिम चेहरे अब बिना किसी जिम्मेदारी के हैं। अब सवाल है कि ये दोनों क्या करेंगे? क्या भाजपा नकवी को किसी राज्य का राज्यपाल बनाएगी? जानकार सूत्रों के मुताबिक इसकी संभावना कम है कि भाजपा अब किसी मुस्लिम को राज्यपाल का पद देगी। इकलौते मुस्लिम राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान हैं, जिनका कार्यकाल सितंबर २०२४ तक है। ऐसा लग रहा है कि भाजपा ने परोक्ष रूप से ८०-२० का चुनाव बनाने का ऐलान कर दिया है। अब भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार में कोई मुस्लिम मंत्री नहीं है। संसद के दोनों सदनों में भाजपा के करीब चार सौ सांसदों में एक भी मुस्लिम नहीं है। भाजपा के संसदीय बोर्ड, चुनाव समिति और महासचिवों में भी कोई मुस्लिम नहीं है। माना जा रहा है कि अगले चुनाव में किसी मुस्लिम को टिकट नहीं देकर भाजपा अपना चुनावी एजेंडा और स्पष्ट करेगी।
