ओटावा। व्हील चेयर पर बैठे पीटर सिमर्ड अपनी पत्नी सेलीन लाफ्रेनियर के साथ अपने आंगन में स्प्रिंग सीजन की तेज धूप का आनंद ले रहे हैं। क्यूबेक प्रांत के गेट नो में स्थित उनका घर अब खुशियों और राहत भरी धूप का आनंद ले रहा है। 59 वर्षीय सिमर्ड कहते हैं, ”बाहर धूप में रहना और अपने बच्चों को देखना अच्छा लगता है। यह बात हमें देखने और सुनने में थोड़ी आसान लगती है लेकिन कुछ दिनों पहले हालात बेहद खराब थे। पीटर सिमर्ड कोरोना की चपेट में आने के कारण क्रिटिकल कंडीशन में थे और एक समय तो उनके डॉक्टर्स ने सभी उम्मीदें छोड़ दी थीं, लेकिन यह उनका परिवार था जिसने हिम्मत नहीं हारी और उन्हें मौत के मुंह से वापस खींच लिया। पिछले अगस्त में सिमर्ड को अचानक एक दिन सांस लेने में परेशानी होने लगी जब उन्हें दिक्कत बड़ी तो उन्होंने इमरजेंसी 911 पर कॉल की और उन्हें मेडिकल सेंटर पर ले जाया गया। वहां उन्हें ट्रीटमेंट के साथ ऑक्सीजन दी गई। उसके बाद तो स्थिति और खराब होने लगी। डॉक्टर्स को लगने लगा था कि अब उनकी स्थिति में सुधार नहीं हो पाएगा क्योंकि अनेक कोशिशों के बावजूद उनमें रिकवरी के कोई लक्षण दिखाई नहीं दे रहे थे। स्थिति यह थी कि ऑक्सीजन का मास्क हटाते ही वह तड़पने लगते थे। डॉक्टर ने उनकी फैमिली को उनकी क्रिटिकल कंडीशन के बारे में सूचित किया। सितंबर में वह कोरना की चपेट से तो बाहर आ गए लेकिन उनकी कंडीशन में कोई सुधार नहीं दिखा। फर्क सिर्फ इतना हुआ कि अब उनकी फैमिली को उनके पास बैठने की इजाजत मिल गई थी और इसी ने सब कुछ बदल दिया। हालांकि उनके लंग्स में बैक्टीरियल इन्फेक्शन के कारण उनकी कंडीशन काफी खराब थी, लेकिन अपने फैमिली सपोर्ट और पॉजिटिव फीडबैक के कारण धीरे धीरे उनकी स्थिति में सुधार आने लगा। और आखिरकार लंबे समय की बीमारी और मुश्किल हालातों को झेलने के बाद उन्हें हॉस्पिटल से डिस्चार्ज कर दिया गया।



