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अजीत डोभाल के दिशा-निर्देश में यूं भारत लाया गया बिचौलिया मिशेल

नई दिल्ली। यूपीए काल में हुए अगुस्टा वैस्टलैंड हेलिकॉप्टर घोटाले के कथित बिचौलिए क्रिश्चियन मिशेल को भारत लाने में सफलता हासिल हुई है। सीबीआई के जॉइंट डायरेक्टर साई मनोहर के नेतृत्व में एक विशेष जांच दल पिछले हफ्ते मिशेल को लाने दिल्ली से गया था। जांच दल ने प्रत्यर्णण की सारी औपचारिकताएं पूरी कर मिशेल को वापस लाने में सफलता हासिल की। सीबीआई ने एक बयान जारी कर कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल के दिशानिर्देश में समूचे अभियान का समन्वय सीबीआई के प्रभारी निदेशक एम नागेश्वर राव ने किया।
वीवीआईपी हेलिकॉप्टर सौदे के इस बहुचर्चित घोटाले के कथित बिचौलिए मिशेल को भारत लाने के लिए एक सुपरप्रूफ योजना बनाई गई थी। सीबीआई प्रवक्ता के मुताबिक इस योजना का कोड नेम ‘यूनिकॉर्न’ रखा गया था। सूत्रों के मुताबिक, मिशेल को लेकर आ रहा गल्फस्ट्रीम का एक विमान मंगलवार को रात 10 बजकर 35 मिनट पर इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे पर उतरा। इस अभियान को डोभाल के दिशानिर्देश में चलाया गया और कोऑर्निडेनेश सीबीआई के अंतरिम डायरेक्टर एम नागेश्वर राव ने किया।
बोफोर्स मामले के बाद से यह ऐसे सर्वाधिक अहम मामलों में से एक है जिसमें भारत ने एक हाई-प्रोफाइल भगोड़े के प्रत्यर्पण में सफलता हासिल की है। बैंकिंग लोन फ्रॉड और बैंक घोटाले के आरोपी विजय माल्या से लेकर नीरव मोदी के मामले में बैकफुट पर नजर आ रही मोदी सरकार के लिए यह मोरल बूस्ट करने जैसा है। बता दें कि सीबीआई और ईडी द्वारा जांच किए जा रहे मामलों में गुइदो हाश्के और कार्लो गेरोसा के अलावा मिशेल तीसरा कथित बिचौलिया है। अदालत द्वारा उसके खिलाफ गैर जमानती वॉरंट जारी करने के बाद दोनों जांच एजेंसियों ने उसके खिलाफ इंटरपोल रेड कॉर्नर नोटिस जारी कर दिया था। मिशेल को फरवरी 2017 में उसे UAE में गिरफ्तार कर लिया गया था। 2019 के महाचुनावी रण के नजदीक होने और एक तरह से इसका बिगुल बजने के बाद मिशेल का सफल प्रत्यर्पण बीजेपी के लिए पॉलिटिकल फ्यूल का काम कर सकता है। बीजेपी ने बिना मौका गंवाए इसे लपक भी लिया है। केंद्र की सत्ता पर काबिज बीजेपी ने गांधी परिवार का जिक्र करते हुए कहा कि यूपीए काल के एक मामले में इस प्रत्यर्पण को भारत के लिए कूटनीतिक जीत बताया है। बीजेपी ने कहा कि इससे कांग्रेस के ‘प्रथम परिवार’ के लिए ‘बड़ी मुसीबत’ पैदा हो सकती है। साथ ही इसे भ्रष्टाचार से लड़ने में नरेंद्र मोदी सरकार की गंभीरता को दर्शाने वाला कदम भी बताया है।
इस मामले में मिशेल पर सह-आरोपियों के साथ मिलकर आपराधिक षड्यंत्र रचने का आरोप है। वीवीआईपी हेलिकॉप्टर डील में कथित घोटाले के सह आरोपियों में तत्कालीन वायुसेना प्रमुख एसपी त्यागी और उनके परिवार के सदस्य शामिल हैं। इसके तहत वीवीआईपी हेलीकॉप्टर की उड़ान भरने की ऊंचाई 6000 मीटर से घटाकर 4500 मीटर कर अपने सरकारी पद का दुरुपयोग करने का आरोप है। भारत सरकार ने 8 फरवरी 2010 को रक्षा मंत्रालय के जरिए ब्रिटेन की अगुस्टा वेस्टलैंड इंटरनैशनल लिमिटेड को लगभग 55.62 करोड़ यूरो का ठेका दिया था। प्रवक्ता ने एक बयान में कहा कि मिशेल अगुस्टा वेस्टलैंड हेलिकॉप्टर्स का ‘ऐतिहासिक परामर्शदाता’ बताया जाता है जिसे हेलिकॉप्टर, सैन्य अड्डों और पायलटों की तकनीकी संचालनात्मक जानकारी थी। मिशेल 1980 के दशक से ही कंपनी के साथ काम कर रहा था और इससे पहले उसके पिता भी भारतीय क्षेत्र के लिए कंपनी के परामर्शदाता रह चुके थे। एजेंसी ने बताया कि वह कथित तौर पर बार-बार भारत आता रहता था और भारतीय वायुसेना व रक्षा मंत्रालय में सेवानिवृत्त, मौजूदा अधिकारियों समेत विभिन्न स्तरों पर सूत्रों के एक बड़े नेटवर्क के जरिए रक्षा खरीद के लिए बिचौलिए के तौर पर काम कर रहा था। सूत्रों के मुताबिक यूएआई के साथ मजबूत हुए रणनीतिक संबंधों ने मिशेल के प्रत्यर्पण को असल में मुमकिन बनाया। पीएम मोदी और यूएआई के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन जायद के बीच घनिष्ट संबंधों ने प्रमुख भूमिका अदा की। मिशेल के ब्रिटिश नागरिक होने के नाते भी यह प्रत्यर्पण महत्वपूर्ण है। दरअसल यूएई ने उन याचिकाओं को खारिज कर दिया था कि ब्रिटिश नागरिक होने के नाते मिशेल को भारत नहीं भेजा जा सकता।

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