तिरुवनंतपुरम। केरल के सबरीमाला मंदिर में प्रवेश को लेकर हुए विवाद में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर प्रदर्शनकारी भारी पड़ रहे हैं। एक ओर देश का सर्वोच्च न्यायालय सभी उम्र की महिलाओं को मंदिर में प्रवेश की अनुमति दे चुका है तो वहीं दूसरी ओर प्रदर्शनकारी 10 से 50 साल की आयुवर्ग महिलाओं को मंदिर में न घुसने देने की जिद पर अड़े हैं। रविवार को भी कड़ी सुरक्षा के बीच मंदिर जा रही दो महिलाओं को प्रदर्शनकारियों ने वापस लौटने पर मजबूर कर दिया। मंदिर के कपाट खुले पांच दिन हो रहे हैं और 10 साल से 50 साल के बीच की आयु वाली किसी भी महिला को मंदिर में प्रवेश नहीं करने दिया गया है। शुरुआत में तो प्रदर्शनकारी इस तरह हावी रहे कि मंदिर की ओर जाने वाले सरकारी और निजी वाहनों को रोककर महिलाओं को वापस भेजा गया। अगले कुछ दिनों में पुलिस भारी सुरक्षा के बीच महिलाओं को मंदिर के द्वार तक लेकर गई तो वहां मौजूद प्रदर्शनकारियों के सामने झुकना पड़ा।
सबरीमाला जा रहीं न्यू यॉर्क टाइम्स की रिपोर्टर सुहासिनी से प्रदर्शनकारियों ने अभद्रता और छेड़छाड़ भी की और गाड़ियों पर भी हमला किया गया। रविवार को भी कड़ी सुरक्षा में दो महिलाओं को लेकर पुलिस मंदिर की ओर जा रही थी लेकिन प्रदर्शनकारियों ने उन्हें आगे बढ़ने से रोक दिया। इसके बाद दोनों को पंबा में पुलिस कंट्रोल रूम लाया गया। शेष श्रद्धालु मंदिर में बीते पांच दिनों से दर्शन करने दूर-दूर से आ रहे हैं। केरल आईजी ने रविवार को लौटाई गई महिलाओं को लेकर कहा कि वे नियमों की जानकारी मिलने के बाद सबरीमाला नहीं जाना चाहती थीं। उन्होंने कहा, ‘वे आंध्र प्रदेश के एक श्रद्धालुओं के समूह का हिस्सा थीं और बाकी मंदिरों में भी जा चुकी थीं। उन्हें सबरीमाला के विशेष नियमों के बारे में नहीं पता था, जब उनसे किसी ने कहा कि वह मंदिर नहीं जा सकतीं तो वह नहीं जाना चाहती थीं और उन्होंने यह बयान भी दिया।’
राज्य के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन का वह दावा खोखला नजर आ रहा है जिसमें उन्होंने महिलाओं को सुरक्षा देने और कोर्ट के आदेश का समर्थन करने की बात कही थी। बीते दिनों अपनी बात से पलटते हुए केरल सरकार ने भी मंदिर मुद्दे पर ऐक्टिविज्म न करने की सलाह दी थी। खुद मंदिर के पुजारी भी प्रदर्शनकारियों के साथ हैं और महिलाओं के मंदिर में प्रवेश के पक्ष में नहीं हैं। राज्य में बीजेपी भी इसे मुद्दा बनाकर जमीन तलाश रही है और प्रदर्शनकारियों का पक्ष लेते हुए सुप्रीम कोर्ट के फैसले का विरोध कर रही है। बीते शुक्रवार को भी दो महिलाओं ने आईजी के साथ करीब 250 पुलिसकर्मियों के सुरक्षा घेरे में मंदिर में प्रवेश की कोशिश की थी लेकिन इसमें सफलता नहीं मिली। मंदिर में घुसने का प्रयास करने वाली महिला पत्रकार कविता जक्कल और ऐक्टिविस्ट रेहाना फातिमा को बाहर से ही लौटना पड़ा। वहीं फातिमा के कोच्चि स्थित घर में कुछ अज्ञात लोगों ने तोड़फोड़ भी की। विपक्षी कांग्रेस ने हिंदू धर्म के अलावा अन्य को मंदिर ले जाने की कोशिश पर पुलिस पर निशाना साधा है। कांग्रेस के नेता आर चेन्निथला ने कहा कि सबरीमाला मंदिर कोई पर्यटन स्थल नहीं है, सिर्फ श्रद्धालु ही मंदिर में जा सकते हैं।