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राफेल का साया, रक्षा मंत्रालय नहीं बदल पा रहा ऑफसेट पॉलिसी

नई दिल्ली। रक्षा मंत्रालय प्रॉडक्शन और ऑफसेट से जुड़ी नीतियों में बड़े बदलावों को लागू नहीं कर पा रहा है। राफेल डील पर हुए विवाद के कारण रक्षा मंत्रालय ने इस साल मई से अपनी ऑफसेट पॉलिसी में संशोधन पर कदम नहीं बढ़ाया है। नई डिफेंस प्रॉडक्शन पॉलिसी का वादा भी पूरा नहीं हो सका है। बता दें कि इस पॉलिसी का ड्राफ्ट मार्च में जारी किया गया था। ऑफसेट पॉलिसी में बदलाव से स्टार्टअप्स को विदेशी वेंडर्स की ऑफसेट शर्तों को पूरा करने के लिए बढ़ावा मिलता। पॉलिसी में संशोधनों में स्टार्टअप्स की मदद के लिए कैपिटल मार्केट रेगुलेटर सेबी के नियंत्रण वाला एक फंड बनाना शामिल था। इंडस्ट्री के संगठनों सहित स्टेकहोल्डर्स के साथ कई दौर की बातचीत के बावजूद मिनिस्ट्री नए रूल्स को लागू करने में असफल रही है। इसके पीछे मिनिस्ट्री में आंतरिक विरोध और मतभेद जैसे कारण बताए जा रहे हैं।
ऑफसेट पर इंसेंटिव्स न मिलने से उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु के डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग कॉरिडोर में इंडस्ट्रीज भी नहीं लग सकी हैं। एक इंडस्ट्री ऐनालिस्ट ने इकनॉमिक टाइम्स को बताया, ‘ऑफसेट पॉलिसी स्पष्ट न होने के कारण विदेशी कंपनियां कॉरिडोर में इन्वेस्टमेंट करने की योजना नहीं बना सकती।’ संशोधनों के मसौदे में विदेशी कंपनियों को अपने इन्वेस्टमेंट का एक बड़ा हिस्सा डिफेंस, एयरोस्पेस और इंटरनल सिक्यॉरिटी के लिए सेबी के नियंत्रण वाले फंड्स में लगाने की अनुमति देने का भी प्रस्ताव था। इसका ग्लोबल कंपनियों ने स्वागत किया था। अगुस्टा वेस्टलैंड VVIP हेलिकॉप्टर डील सहित कुछ अन्य मामलों में भ्रष्टाचार के आरोपों के कारण सरकार के लिए ऑफसेट एक जटिल मुद्दा बन गया है। हालांकि, देश के प्राइवेट सेक्टर को नई डिफेंस प्रॉडक्शन पॉलिसी 2018 को लागू करने में प्रगति न होने से निराशा हुई है। इस पॉलिसी की घोषणा इस वर्ष के बजट में की गई थी। नई पॉलिसी का उद्देश्य प्राइवेट और सरकारी कंपनियों और MSME के बीच सहयोग से प्रॉडक्शन को बढ़ावा देना था।
सरकार ने डोमेस्टिक प्रॉडक्शन में फॉरेन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट (FDI) बढ़ाने और अगले सात वर्षों में 30 लाख रोजगार बनाने का भी लक्ष्य रखा था। इसके अलावा मिलिटरी और एयरोस्पेस सेक्टर्स में भारत को टॉप पांच देशों में पहुंचाने की योजना भी बनाई गई थी। एक ऐनालिस्ट ने कहा, ‘अगर पॉलिसी को अंतिम रूप देने में इतना समय लग रहा है तो लक्ष्यों के पूरा होने की क्या संभावना है?’ इंडस्ट्री भी डिफेंस पॉलिसी को लेकर सरकार की धीमी चाल से नाराज है। सरकार ने ड्राफ्ट पॉलिसी में डिफेंस सेक्टर से 2025 तक 5 अरब डॉलर के एक्सपोर्ट का महत्वाकांक्षी लक्ष्य दिया था।

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