नई दिल्ली। सफाई कर्मचारियों के राष्ट्रीय आयोग (एससीएसके) ने उन 100 परिवारों को 10 लाख रुपये के अनिवार्य मुआवजे का भुगतान सुनिश्चित किया है जिनके घर के सदस्यों की मौत हाथ से मैला साफ करने दौरान हो गई थी। एससीएसके के चेयरमैन मनहर वालजीभाई जाला ने गुरुवार को मैला साफ करने वाले कर्मियों की मौत पर रिपोर्ट जारी करने के दौरान बताया कि पिछले डेढ़ सालों में इस कार्य में लगे करीब 600 लोगों की मौत हो गई है। उन्होंने कहा, ‘हमने 100 पीड़ित परिवारों को 10 लाख रुपये मुआवजा के भुगतान की व्यवस्था की है। आयोग मामले में हस्तक्षेप करेगा और ऐसे और मामलों में मुआवजे का भुगतान सुनिश्चित करेगा।’ यह रिपोर्ट राष्ट्रीय गरिमा अभियान द्वारा मार्च और जुलाई के बीच किए गए सर्वेक्षण पर आधारित है। संस्थान का कहना है कि पीड़ित 51 परिवारों में से एक का भी पुनर्वास नहीं किया गया और न ही वैकल्पिक नौकरी ही दी गई जिस कारण मजबूरन उन्हें मैला साफ करने के काम में जाना पड़ा। इन परिवारों में 97 लोगों की मौत हुई है।
11 राज्यों के 51 मामलों में पीड़ित परिवारों के इंटरव्यू से यह जानकारी सामने आई है कि सिर्फ 16 परिवारों को ही मुआवजा मिला है। रिपोर्ट के मुताबिक, अधिकांश मौत की वजह सेप्टिक टैंक और सीवर की सफाई के दौरान हुई है, जिसमें एक भी एफआईआर दर्ज नहीं किया गया और न एक भी मुकदमा ही चला है। 1992 से 2018 के बीच 27 राज्यों में 140 घटनाएं सामने आईं, जिनमें 205 लोगों की मौत हो गई थी। सबसे अधिक मामले गुजरात (62), फिर महाराष्ट्र (29), उत्तर प्रदेश (29), मध्य प्रदेश (24) और तमिलनाडु (24) में सामने आए। एससीएसके के चेयरमैन ने कहा, ‘मेरे पद ग्रहण करने के बाद से अकेले दिल्ली में 20 लोगों की मौत की खबर आई है। हमने सभी मामलों में मुआवजा का भुगतान सुनिश्चित किया है।’