नई दिल्ली। एशिया कप-2018 का खिताबी मुकाबला भारत और बांग्लादेश के बीच दुबई इंटरनैशनल क्रिकेट स्टेडियम में 28 सितंबर को खेला जाएगा। फैंस को उम्मीद थी कि सुपर-4 के आखिरी मुकाबले में पाकिस्तान के जीतने पर एक बार फिर भारत-पाक के बीच संघर्ष देखने को मिलेगा, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। पाकिस्तान की उम्मीदों पर पानी फेरते हुए बांग्लादेश ने 37 रनों से जीत दर्ज की। रेकॉर्ड पर नजर डालें तो बांग्लादेश के खिलाफ टीम इंडिया का पलड़ा भारी है। दोनों के बीच अब तक कुल 34 मुकाबले खेले गए हैं, जिसमें से 28 में भारतीय टीम ने जीत दर्ज की है, जबकि 5 बांग्लादेश के नाम रहा है, जबकि एक मैच बेनतीजा खत्म हुआ। बावजूद इसके भारतीय टीम विपक्षी को हल्के में नहीं लेगी, क्योंकि यही वह टीम है, जिसने वर्ल्ड कप-2007 में उसे हरा दिया था। यह हार भारत के टूर्नमेंट से बाहर होने में बड़ी वजह बनी थी। इसके अलावा कई और मौके भी आए, जब भारतीय टीम हारते-हारते बची। इसलिए भी रोहित शर्मा की टीम पूरी तैयारी से खिताबी मुकाबले में उतरेगी।
भारतीय टीम 2003 में ऑस्ट्रेलियाई टीम से हारकर उपविजेता रही थी और 2007 में खिताब जीतने के इरादे से उतरी थी। राहुल द्रविड़ की कप्तानी में भारतीय टीम काफी मजबूत दिख रही थी, लेकिन उसे टूर्नमेंट में अपने पहले ही मुकाबले में हार का सामना करना पड़ा। यह चौंकाने वाली हार उसे बांग्लादेश से मिली थी। मैच में राहुल द्रविड़ ने टॉस जीतकर पहले बैटिंग का फैसला किया। मशरफे मुर्तजा ने 4, जबकि अब्दुर रज्जाक और मोहम्मद रफीक ने 3-3 विकेट झटकते हुए भारतीय टीम को बैकफुट पर ला दिया। पूरी टीम 49.3 ओवर में सिर्फ 191 रनों पर ऑलआउट हो गई। सौरभ गांगुली (66) और युवराज सिंह (47) को छोड़ दिया जाए तो कोई भी बल्लेबाज बड़ी पारी नहीं खेल सका था। जवाब में बांग्लादेश ने तमीम इकबाल (51), मुशफिकुर रहीम (नाबाद 56) और शाकिब अल हसन (53) की अर्धशतकीय पारियों की बदौलत 48.3 ओवर में 5 विकेट पर 192 रन बनाते हुए जीत दर्ज की। किसी भी आईसीसी टूर्नमेंट में यह भारत पर उसकी पहली जीत थी। भारतीय टीम के लिए यह टूर्नमेंट किसी बुरे सपने की तरह साबित हुआ था। उसने अपने दूसरे मुकाबले में बरमूडा को 257 रनों के बड़े अंतर से हराया था, लेकिन अगले ही मैच में श्री लंका से हारकर उसे बाहर होना पड़ा था। आज भी इस टूर्नमेंट को भारतीय क्रिकेट के सबसे खराब दौर के रूप में याद किया जाता है। इस टूर्नमेंट के दौरान ग्रेग चैपल कोच थे, जिन्हें भारतीय टीम का सबसे खराब कोच माना जाता है।