110 Views

प्रयागराज में 40 साल बाद तैरेंगी हिलसा मछलियां

प्रयागराज। जून 2016 में पश्चिम बंगाल के हावड़ा में 4 किलोग्राम हिलसा मछली 22 हजार रुपये में एक शख्स ने खरीदी थी। बांग्लादेश की राष्ट्रीय मछली हिलसा का वहां के जीडीपी में भी 1.15 फीसदी का योगदान है। अब यूपी के हिलसा प्रेमियों के लिए खुशखबरी है। इसके अनुसार, 40 साल के अंतराल के बाद हिलसा मछलियों के इस मॉनसून सीजन में गंगा में जगह देने की योजना बनाई जा रही है। इसमें हिलसा के प्रजनन और उनके एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाने के लिए अलग से बैराज बनाया जाएगा जो प्रयागराज तक बनेगा। 70 के दशक में हिलसा का प्रयागराज तक माइग्रेशन बंगाल में फरक्का पर एक बैराज बनाने की वजह से संभव हुआ था, लेकिन फिर फरक्का नेविगेशन लॉक का निर्माण होने की वजह से हिलसा का आवागमन अवरुद्ध हो गया था।
अब इस लॉक को इस तरह री-डिजाइन किया जाएगा ताकि तीनों मेटिंग सीजन (प्रजनन समय) में, खासकर मॉनसून सीजन में हिलसा का सुरक्षित और सुगम्य माइग्रेशन हो सके। इनलैंड वाटरवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (आईडब्ल्यूएआई) के वाइस चेयरमैन प्रवीर पांडेय ने कहा, ‘हम रात एक बजे से सुबह 5 बजे तक केवल 8 मीटर तक गेट खोलेंगे जो कि हिलसा के स्थानांतरण के लिए उचित समय है।’ उन्होंने आगे बताया, ‘हमने आईसीएआर सेंट्रल इनलैंड फिशरीज रिसर्च इंस्टिट्यूट, सेंट्रल वाटर कमिशन और फरक्का बैराज प्रॉजेक्ट अथॉरिटी के साथ मिलकर यह प्रावधान किया है। हमने इसे री-डिजाइन करके इनहाउस बनाया है और इसके जरिए करीब 100 करोड़ रुपये की बचत की गई है।’ हिलसा मछलियों के बांग्लादेश से प्रयागराज तक माइग्रेशन का इतिहास रहा है। हालांकि ये खारे पानी वाली मछलियां हैं लेकिन फिर भी बंगाल की खाड़ी से गंगा के मीठे पानी में माइग्रेट करती हैं। शिपिंग मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने बताया, ‘हिलसा मछलियां भोजन के लिए अक्सर बड़े एरिया में फैल जाती हैं। हिलसा के माइग्रेशन से क्षेत्र में इनकी संख्या भी बढ़ेगी।’

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top