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पाकिस्तान की मुश्किल बढ़ी, अब आतंकवाद फैलाने वाले राज्यों पर भी FATF की नजर

नई दिल्ली। आतंकवाद की फंडिंग पर नजर रखने वावा ग्लोबल वॉचडॉग फाइनैंशल ऐक्शन टास्क फोर्स (FATF) अपने निगरानी क्षेत्र का विस्तार कर रहा है। अब FATF आतंकी संगठनों के अलावा ऐसे राज्यों की भी निगरानी करेगा जो आतंकवाद को प्रश्रय देते हैं या उनका समर्थन करते हैं। ऐसे में पाकिस्तान की मुश्किलें और बढ़ने वाली हैं क्योंकि वह पहले से ही FATF की आलोचना का शिकार है। अपनी हालिया अक्टूबर प्लेनरी के बाद जारी पब्लिक स्टेटमेंट में FATF ने कहा है कि पहली बार वह उन राज्यों को मॉनिटर करेगा जो आतंकवाद की फंडिंग करते हैं। FATF के इस कदम का असर पाकिस्तान पर भी पड़ेगा जो आतंकी फंडिंग के खिलाफ ऐक्शन नहीं लेने पर जून महीने में टास्क फोर्स की ग्रे लिस्ट में शामिल किया गया है।
FATF ने पब्लिक स्टेटमेंट में माना है कि किसी राज्य द्वारा आतंकवाद की फंडिंग अभी भी उसके मापदंडों के मुताबिक नहीं हैं। टास्क फोर्स ने कहा है कि ISIL, अलकायदा और इनसे जुड़े संगठनों की फाइनैंसिंग से जुड़े नए रिस्क के प्रति जागरूरक बना रहेगा। 2018 में FATF ने अलकायदा और खासकर भारत को निशाना बनाने वाले इसके सहयोगियों लश्कर-ए-तैयबा व जैश-ए-मोहम्मद के साथ इस्लामिक स्टेट की भी टेरर फाइनैंसिंग की अपनी मॉनिटरिंग को विस्तार दिया था। अक्टूबर में पाकिस्तान ने FATF को 27 बिंदुओं वाला एक ऐक्शन प्लान सौंपा था जिसपर उसे 15 महीने में काम करना है। टास्क फोर्स की ग्रे लिस्ट में शामिल होने के बाद पाकिस्तान ने आतंकवाद के खिलाफ इसके साथ करने पर उच्च स्तर की प्रतिबद्धता का वादा किया है। हालांकि अभी पाक के पास ऐक्शन प्लान पर काम करने के लिए तकनीकी तौर पर एक साल से अधिक का समय है लेकिन इसपर कुछ प्रो्ग्रेस हो रही है या नहीं इसे लेकर एशिया पसिफिक ग्रुप की बैठक और फरवरी प्लेनरी में चर्चा होगी। बता दें कि 2016 में पाकिस्तान को उस वक्त बड़ी राहत तब मिली थी जब चीन ने जैश चीफ मौलाना मसूद अजहर पर सुरक्षा परिषद के प्रतिबंध को ब्लॉक कर दिया था। अजहर को 1999 में कांधार हाइजैकिंग में लोगों के बदले रिहा किया गया था। यह मामला चीन और भारत के बीच कड़वाहट की वजह बना और इसके बाद पाकिस्तान ने लश्कर चीफ हाफिज सईद जैसे नेताओं को भी ढील दी। ऐसा माना जा रहा है कि अफगानिस्तान से अमेरका के वापस होने के बाद पाकिस्तान तालिबान और हक्कानी नेटवर्क जैसे दूसरे आतंकी संगठनों के दबाव में आ सकता है।

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