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नीतीश के नाम पर कांग्रेस तैयार !

कांग्रेस पार्टी नीतीश कुमार को अगले लोकसभा चुनाव के लिए विपक्ष का चेहरा बनाने को तैयार है। जानकार सूत्रों का कहना है कि नीतीश कुमार को भाजपा से अलग होने और राजद, कांग्रेस के साथ गठबंधन बनाने के बाद चीजें तेजी से बदल रही हैं। नीतीश कुमार ने सोनिया और राहुल गांधी से बात की है और बताया जा रहा है कि कांग्रेस सहित कई विपक्षी पार्टियां नीतीश कुमार को यूपीए का संयोजक या अध्यक्ष बनाने को तैयार हैं। ध्यान रहे यूपीए में संयोजक का कोई पद नहीं है। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ही यूपीए की अध्यक्षा हैं। पिछले दिनों शरद पवार को अध्यक्ष बनाने की बात चली थी लेकिन उम्र और सेहत दोनों आधार पर उन्होंने मना कर दिया था।
आपको याद दिला दें कि पिछली बार यानी २०१५ में भी जब नीतीश कुमार ने कांग्रेस और राजद के साथ तालमेल किया था तब उनको २०१९ के चुनाव के लिए विपक्ष का चेहरा माना जा रहा था। लेकिन २०१७ में वे वापस एनडीए में लौट गए थे। अब फिर उन्होंने यूपीए में वापसी की है तो एक बार फिर उनको चेहरा बनाए जाने की चर्चा चल पड़ी है। कहा जा रहा है कि के चंद्रशेखर राव से लेकर एमके स्टालिन और एचडी देवगौड़ा तक किसी को उनको नाम पर आपत्ति नहीं है। वामपंथी पार्टियां भी उनकी सरकार का समर्थन कर रही हैं और उनको भी नीतीश के नाम पर ऐतराज नहीं है। ममता बनर्जी और अरविंद केजरीवाल आपत्ति कर सकते हैं लेकिन विपक्षी नेताओं को भरोसा है कि उनको मना लिया जाएगा। गौरतलब है कि नीतीश ओबीसी समाज से आते हैं और उनके ऊपर परिवारवाद के आरोप नहीं हैं, भ्रष्टाचार के आरोप नहीं हैं और भाजपा के साथ ऱहने के बावजूद उन्होंने सांप्रदायिक विद्वेष बढ़ाने वाली राजनीति भी नहीं की है। इन सभी कारणों को देखते हुए विपक्ष द्वारा भाजपा के खिलाफ उन्हें यूपीए का चेहरा बनाए जाने की संभावना काफी प्रबल हो गई है। हालांकि यह बात भी गौर करने लायक है कि लाख प्रयासों के बावजूद अभी तक भाजपा नीत एनडीए के खिलाफ विपक्षी दल एकजुटता प्रदर्शित नहीं कर पाए हैं। विभिन्न राज्यों में प्रभावशाली राजनीतिक दल अपने निहितार्थ के कारण एक राय बनाने में असफल रहे हैं। इसके अलावा हाल ही में हुए उपराष्ट्रपति चुनाव में ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस के रुख ने यह लगभग स्पष्ट कर दिया है कि वह कांग्रेस से फिलहाल दूरी बनाए रखना चाहती हैं। अरविंद केजरीवाल भी अपने एजेंडे पर चलते हुए कांग्रेस नीत यूपीए से अब तक दूरी बनाए हुए हैं। इक्का-दुक्का मौकों पर वह साथ खड़े अवश्य दिखाई देते हैं लेकिन यह सब जानते हैं कि उनका मार्ग कांग्रेस और भाजपा दोनों से अलग है ‌। अब देखना यह होगा कि क्या नीतीश कुमार उनकी एकजुटता का कारण बन पाते हैं अथवा २०२४ में भी विपक्ष को मुंह की खानी पड़ेगी?

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