संयुक्त राष्ट्र। एक नई रिपोर्ट में पता चला है कि पिछले दो सालों में संयुक्त राष्ट्र के एक तिहाई कर्मचारियों यौन शोषण का शिकार हुए हैं। इस तरह के बुरे व्यवहार को लेकर हुए पहले सर्वे में मंगलवार को इस जानकारी का पता चला। यूएन महासचिव एंटोनियो गूटेरेस ने स्टाफ को लिखे एक पत्र में बताया कि इस अध्ययन में ‘कुछ मजबूत आंकड़े और सबूत हैं जिन्हें बदलने की जरूरत है’ ताकि संयुक्त राष्ट्र को एक बेहतर कार्यस्थल बनाया जा सके। सर्वे में पता चला है कि पिछले दो सालों में तीन में से एक रिस्पॉन्डेंट या 33 प्रतिशत ने कम से कम 1 बार यौन शोषण होने की बात को स्वीकारा। लेकिन यह आंकड़ा तब बढ़कर 38.7 प्रतिशत हो जाता है जब कुछ लोगों ने संयुक्त राष्ट्र में अपने कार्यकाल के दौरान किसी न किसी तरह के सेक्शुअल हैरसमेंट होने की बात कही।
इनमें सबसे आम सेक्शुअल हैरसमेंट की बात करें तो सेक्शुअल कहानियां या चुटकुले थे जो आपत्तिजनक थे। इसके अलावा अपीयरेंस, बॉडी या सेक्शुअल ऐक्टिविटी को लेकर भी आपत्तिजनक बातें हुईं। डेलॉयट द्वारा नवंबर में किए गए इस सर्वे के मुताबिक, यूएन कर्मचारियों को सेक्शुअल मामलों से जुड़े डिस्कशन में जबरदस्ती शामिल करने की कोशिश की गई। आपत्तिजनक इशारों और छूने जैसी घटनाएं भी हुईं। हर तीन में से एक शोषण करने वाले पुरुष थे जबकि चार में से एक सुपरवाइजर या मैनेजर स्तर के कर्मचारी थे। सर्वे के मुताबिक, करीब 10 में से एक सीनियर लीडर ने सेक्शुअल हैरसमेंट किया। सर्वे को बहुत कम करीब 17 प्रतिशत रिस्पॉन्स रेट मिला। करीब 30,364 स्टाफ ने गोपनीय सवालों के जवाब दिए। स्टाफ को लिखे एक पत्र में गूटेरेस ने कहा कि सर्वे के मुताबिक, दूसरे संस्थानों की तुलना में यूएन में सेक्शुअल हैरसमेंट बहुत कम है। लेकिन समानता, प्रतिष्ठा और मानव अधिकारों वाले संयुक्त राष्ट्र को हाई स्टैंडड सेट करना चाहिए। फरवरी में यूनाइडेट नेशन्स ने स्टाफ के लिए सेक्शुअल हैरसमेंट को रिपोर्ट करने के लिए एक 24 घंटे हेल्पलाइन लॉन्च की। यूएन जांचकर्ताओं से सभी शिकायतों का निपटान करने को कहा गया। गूटेरेस का कहना है कि सेक्शुअल हैरसमेंट के लिए ज़ीरो टॉलिरेंस पॉलिसी है।
