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जेलों में कठोर क्वारंटाइन को मजबूर कैदी

मोंट्रियल, 5 जुलाई। क्यूबेक में जीवन महीनों में आजादी की सांस ले रहा है। रेस्टोरेंट्स, बार, थिएटर, जिम और कॉन्सर्ट हॉल खुले हैं। कर्फ्यू अब एक याद बनकर रह गया है, और पूरे प्रांत को कम जोखिम वाला “ग्रीन ज़ोन” माना जाता है। लेकिन साथियों ने प्रांत की जेलो में कुछ अलग ही स्थिति दिखाई देती है। महामारी की शुरुआत से ही, प्रांतीय जेलों में आने वाले नये प्रिजनर्स को दो सप्ताह के लिए क्वॉरेंटाइन किया जा रहा है। कई कैदियों के लिए एक छोटी सी कोठरी में, दिन में 23 घंटे, सीधे 14 दिनों का यह एकांत कारावास है।
ऐसे में जब जेलों के बाहर सॉलिट्री क्वॉरेंटाइन के एकमात्र प्रभावी विकल्प होने पर बस द्वारा सवाल उठाए जा रहे हैं, कैदियों के लिए इसे अनिवार्य बनाए रखना कहां तक उचित है?
क्रिमिनल डिफेंस लॉयर मैरी-क्लाउड लैक्रोइक्स जेलों में बंद कैदियों के अधिकारों के लिए लड़ती हैं वह इस प्रेक्टिस को अमानवीय करार देती हैं। उनका मानना है कि कुछ कैदी अभी भी मुकदमे की प्रतीक्षा कर रहे हैं और कोर्ट का अंतिम फैसला आने तक उन्हें निर्दोष माना जाता है।
मॉन्ट्रियल के 1912 में खुले
बोर्डो जैसे पुराने जेलों में कोई एयर कंडीशनिंग नहीं है और आइसोलेशन सेल इस गर्मी में बेहद गर्म हो गए हैं। ऐसे में कैदियों का इस सेल में 23 घंटे बंद रहना किसी भयानक यातना से कम नहीं होता।
वहीं प्रशासन का कहना है कि जेलों में वैक्सीनेशन रेट का प्रॉपर रिकॉर्ड रखना व्यवहारिक रूप से संभव नहीं है क्योंकि यहां अधिकतर कैदी शॉर्ट पीरियड के लिए आते हैं। इसी कारण क्वारंटाइन उनके पास एकमात्र विकल्प के रूप में बचता है।
हालांकि इसके बावजूद क्यूबेक की जेलों में इसका प्रकोप देखा गया है, जिसका असर कैदियों और कर्मचारियों पर पड़ा है।जनवरी में, सेंट-जेरोम डिटेंशन सेंटर में इसका प्रकोप हुआ, जहां 45 कैदी और 17 श्रमिक पॉजिटिव पाए गए। फरवरी में, बोर्डो में कोरोना ने लगभग 100 कैदियों और लगभग 17 स्टाफ सदस्यों को संक्रमित किया।

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