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ख़तरनाक हुआ गर्मी का मौसम

इस वर्ष असामान्य रूप से अत्यधिक गर्मी पड़ रही है। गर्मी की अवधि भी असामान्य रूप से लंबी है। पहले अधिक गर्मी पर बीच-बीच में जिस तरह आंधी या बारिश से राहत मिल जाती थी, इस बार वैसा कम ही हुआ है। इस मौसम का असर अब सीधे तौर पर लोगों की सेहत पर पड़ता दिख रहा है। इसी बीच आई इस अनुसंधान रिपोर्ट ने चिंता और बढ़ा दी है कि बढ़ते तापमान की वजह से गर्भवती महिलाओं और उनके अजन्मे बच्चों के स्वास्थ्य पर काफी खराब असर पड़ सकता है। कई मामलों में बच्चे समय से पहले पैदा हो सकते हैं। कुछ मामलों में जन्म से पहले उनकी मौत हो सकती है। भारत में लू का चलना सामान्य घटना है, लेकिन इस साल चौंका देने वाली गर्मी समय से पहले आ गई। इस बार तापमान रिकॉर्ड स्तर को छू रहा है। भारतीय मौसम विभाग के अनुसार उत्तर पश्चिम और मध्य भारत में इस साल का अप्रैल महीना पिछले १२२ वर्षों के अप्रैल महीने की तुलना में सबसे ज्यादा गर्म रहा।

विश्व मौसम विज्ञान संगठन ने मई में एक बयान में कहा कि यह असामान्य मौसम बदलते जलवायु को लेकर की गई भविष्यवाणियों के मुताबिक है। दुनिया के कई हिस्सों में जलवायु परिवर्तन के कारण अत्यधिक गर्मी बढ़ रही है। इसे देखते हुए ही अब विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि इससे गर्भवती महिलाओं और नवजात बच्चों पर हानिकारक प्रभाव पड़ सकते हैं। उनके मुताबिक गर्मियों के मौसम में ओलिगोहाइड्रामनिओस के बहुत सारे मामले सामने आते हैं। इसमें गर्भ में पल रहे बच्चे के चारों ओर एमनियोटिक नाम का तरल पदार्थ कम हो जाता है। साथ ही समय से पहले बच्चे के जन्म होने की घटनाएं बढ़ जाती हैं। अब जबकि दुनिया भर में गर्मी के महीने हर साल बदतर होते जा रहे हैं, ये नई रिपोर्ट हमारे लिए खास चिंता की बात होनी चाहिए। अब ये साफ हो गया है कि ग्लोबल वार्मिंग के साथ तापमान बढऩे से बच्चों के स्वास्थ्य पर काफी ज्यादा प्रभाव पड़ रहा है। जबकि आम जनता गर्भावस्था पर गर्मी के ख़तरों को लेकर अभी भी जागरूक नहीं है।

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