इस्लामाबाद। पाकिस्तान की शक्तिशाली खुफिया एजेंसी आईएसआई के खिलाफ विवादित टिप्पणी करने पर इस्लामाबाद हाई कोर्ट के एक वरिष्ठ जज को बर्खास्त कर दिया गया। जज ने बयान दिया था कि आईएसआई अपने पक्ष के फैसले प्राप्त करने के लिए न्यायिक कार्यवाही में हेरफेर कर रही है। खास बात यह है कि बर्खास्त न्यायाधीश शौकत अजीज सिद्दीकी अगले महीने इस्लामाबाद हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस बनने वाले थे। शीर्ष न्यायिक परिषद (एसजेसी) ने जस्टिस सिद्दीकी को पद से हटाने की सिफारिश की थी। आईएसआई को निशाना बनाने वाले उनके भाषण को लेकर कथित कदाचार के मामले का सामना कर रहे थे। पाकिस्तान के राष्ट्रपति आरिफ अल्वी ने गुरुवार को उन्हें बर्खास्त किया। जस्टिस सिद्दीकी ने 21 जुलाई को रावलपिंडी जिला बार असोसिएशन को संबोधित करते हुए आरोप लगाया था कि आईएसआई अपने पक्ष के फैसले पाने के लिए न्यायाधीशों की पीठ गठित करने हेतु न्यायिक कार्यवाही में हेरफेर कर रही है।
उन्होंने कहा था, ‘आज न्यायपालिका और मीडिया बंदूकवालों के नियंत्रण में आ गये हैं। न्यायपालिका स्वतंत्र नहीं है। यहां तक कि मीडिया को सेना से निर्देश मिल रहे हैं। मीडिया सच नहीं बोल पा रही है क्योंकि वह दबाव में है और उसके अपने हित हैं… विभिन्न मामलों में, आईएसआई इच्छानुसार फैसले प्राप्त करने के लिए अपनी पसंद की पीठें बनाती है।‘ इस्लामाबाद हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस अनवर कांसी द्वारा सिद्दीकी के खिलाफ आरोप खारिज किए जाने के बाद सेना ने पाकिस्तान के चीफ जस्टिस से इन टिप्पणियों पर संज्ञान लेने को कहा था। इस मामले को एसजेसी के पास भेजा गया था जिसने उन्हें पद से हटाने की सिफारिश की। यह संस्था ऊपरी अदालतों के जजों के खिलाफ शिकायतों पर विचार करती है और न्यायपालिका से बर्खास्त करने सहित दंडात्मक कार्रवाई की सिफारिश करती है। सिद्दीकी के वकील हामिद खान ने कहा कि एसजेसी के फैसले के खिलाफ अपील का कोई प्रावधान नहीं है लेकिन वह सुप्रीम कोर्ट में इस मामले को लेकर जाएंगे। सिद्दीकी एसजेसी द्वारा बर्खास्त किए गए दूसरे जज हैं। इससे पहले 1973 में लाहौर हाई कोर्ट के जज शौकत अली को भ्रष्टाचार के मामले में पद से हटाया गया था।