214 Views

आंध्र प्रदेश में ब्राह्मणों को आखिर क्यों बांटी जा रही हैं महंगी कारें

हैदराबाद। आंध्र प्रदेश इस वक्त एक खास वजह से चर्चा में है। वहां की सरकार गरीबी रेखा से नीचे वाले बेरोजगार ब्राह्मण युवाओं को रोजगार मुहैया कराने के उद्देश्य से स्विफ्ट डिजायर कार उपलब्ध करा रही है। इसके लिए दो लाख रुपये सरकार की तरफ से दिए जा रहे हैं, जो सब्सिडी के रूप में होंगे, जिन्हें वापस नहीं करना होगा। बाकी की राशि सस्ते ब्याज दर पर किश्तों में लाभार्थी को चुकानी होगी। 50 युवाओं को गाड़ी देकर इस योजना की शुरूआत की जा रही है। इसके बाद इसका विस्तार होना है।
इस योजना की जानकारी आने के बाद पूरे देश का चौंकना स्वाभाविक था, लेकिन इस बात की जानकारी कम ही लोगों को होगी कि आंध्र प्रदेश एक ऐसा राज्य है, जहां ब्राह्मणों के कल्याण के लिए सरकारी उपक्रम के रूप में एक कॉरपोरेशन (आंध्र प्रदेश ब्राह्मण वेलफेयर कॉरपोरेशन, जिसे वहां एबीसी कहा जाता है) पहले से ही बना हुआ है। इस कॉरपोरेशन की इकाई के रूप में आंध्र प्रदेश ब्राह्मण कोऑपरेटिव क्रेडिट सोसायटी भी है, जो कि सस्ती ब्याज दर पर कर्ज मुहैया कराती है। कॉरपोरेशन अलग-अलग तरह की नौ योजनाएं चला रहा है। राज्य में ब्राह्मण कॉरपोरेशन चंद्रबाबू नायडू के जून 2014 में दूसरी बार सीएम बनने के बाद स्थापित किया गया। इसकी स्थापना की बात नायडू ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में की थी। कहते हैं कि प्रदेश के विभाजन के चलते समृद्ध ब्राह्मण तेलंगाना के हिस्से चले गए। गरीब ब्राह्मण आंध्र प्रदेश के हिस्से बचे, जिनकी सरकारी नौकरियों में भी हिस्सेदारी बेहद कम है। खेती भी नहीं है। मंदिर, पूजा-पाठ के जरिए होने वाली आय से ही उनका जीवनयापन होता है।
राज्य की कुल आबादी में ब्राह्मण आबादी का हिस्सा तीन से चार प्रतिशत के बीच है, जिसमें से बड़ा हिस्सा गरीबी रेखा से नीचे है। गरीब होने की वजह से ब्राह्मण शिक्षा में भी पिछड़ रहे हैं। कहते हैं कि 2014 के राज्य विधानसभा चुनाव के वक्त चंद्रबाबू नायडू जब राज्य की यात्रा पर थे तो उन्होंने ब्राह्मणों की यह स्थिति बहुत नजदीक से देखी और तभी ऐलान कर दिया कि अगर वह सत्ता में आते हैं तो ब्राह्मणों की स्थिति सुधारने के लिए कुछ बेहतर करेंगे।
सरकारी पक्ष को सुनें तो मुख्यमंत्री के इस कदम के पीछे कोई राजनीतिक निहितार्थ नहीं हैं। राज्य के मुख्यमंत्री होने के नाते अपने नागरिकों की भलाई के लिए योजनाएं बनाना, उनका क्रियान्वयन सुनिश्चित कराना यह उनकी ड्यूटी में शामिल है, लेकिन दलित नेता सूर्यप्रकाश नल्ला इसके पीछे सीधी राजनीति देखते हैं। उनका कहना है कि राज्य में ब्राह्मण भले कोई बड़ा वोटबैंक न हों, लेकिन लगभग हर घर में उसकी पहुंच है क्योंकि सुख-दुख के जितने भी कर्मकांड होते हैं, वह ब्राह्मणों के द्वारा ही होते हैं। नायडू ने ब्राह्मणों को खुश करने का दांव इसलिए खेला है कि उन्हें लगता है कि घर-घर ‘माउथ टू माउथ’ पब्लिसिटी में ब्राह्मण उनका जरिया बन सकते हैं। दूसरा, यह भी माना जाता है कि ब्राह्मण का आशीर्वाद बहुत लाभकारी होता है।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top