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कैलिफोर्निया में मिली उत्‍पीड़न के खिलाफ बोलने की आजा़दी, क़ानून लागू

कैलिफोर्निया,10 अक्टूबर। कैलिफोर्निया में आज से कार्यस्‍थल पर उत्‍पीड़न या भेदभाव के शिकार लोगों को गोपनीयता की शर्तों से घिरे होने के बजाय स्‍वतंत्र रूप से बोलने की अनुमति देने संबंधी एक नया कानून प्रभावी हो गया है।
कैलिफोर्निया में कई टेक कंपनियों का मुख्‍यालय है। ऐसे में “साइलेंस नो मोर” अधिनियम का व्‍यापक प्रभाव हो सकता है। साथ ही जब कंपनियों को अपने कर्मचारियों के परेशान करने वाले व्‍यवहार का सामना करना पड़ता है तो नॉन डिस्‍क्‍लोजर एग्रीमेंट (एनडीए) का बहुत आसानी से सहारा लिया जाता है।
आमतौर पर एनडीए को कंपनियों द्वारा एक कर्मचारी के साथ वित्तीय समझौते के हिस्से के रूप में जोड़ा जाता है।
रोजगार कानून के जानकार वकील लॉरेन टोपेलसोहन ने बताया, “एनडीए का इस्तेमाल किसी को चुप कराने के लिए किया जा सकता है।” उन्होंने कहा, “यह मौन खरीदता है और मौन एक अपराधी को फिर से कार्य करने की अनुमति देता है।”
गवर्नर गेविन न्यूजॉम ने गुरुवार को कानून पर हस्ताक्षर कर दिए हैं। यह प्रत्येक उस एनडीए पर प्रतिबंध लगाता है, जो कर्मचारियों को कार्यस्थल में किए गए अवैध कृत्यों के बारे में बोलने से रोकता है।
मुख्य रूप से इसका मतलब उन शिकायतों से है जिनमें अन्य संरक्षित मानदंडों के बीच त्वचा के रंग, धर्म, विकलांगता, लिंग, लिंग की पहचान, उम्र या यौन अभिविन्यास के कारण भेदभाव या उत्पीड़न शामिल है।
जिन लोगों ने इस कानून को बनाने तथा लागू करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, उनकी नज़रें बड़ी टेक कंपनियों के कैलफिोर्निया स्थित हैडक्‍वार्टर पर हैं। उनका कहना है कि गूगल और एपल जैसी कंपनियां असुविधाजनक सच को छुपाने और शिकायतकर्ताओं को पैसा चुकाने से बचने के लिए एनडीए का सहारा लेती हैं। एक गूगल कर्मचारी ने बताया कि इंडस्‍ट्री में एनडीए एक आम हथियार है। इसकी आड़ लेकर यह बड़ी टेक कंपनियां अपने कर्मचारियों का कई तरह से उत्पीड़न करती हैं। साथ ही उन्हें अक्सर भाषा, रंग, रुप, जाति आदि को लेकर भेदभाव का सामना भी करना पड़ता है। पीड़ित या तो अपनी आवाज उठा नहीं पाते और जो ऐसा करने की हिम्मत जताते हैं उनके खिलाफ एनडीए को एक सशक्त हथियार के रूप में प्रयोग किया जाता था। आशा जताई जा रही है कि इस कानून के लागू होने से इस प्रकार की घटनाओं तथा शोषण की प्रवृत्ति पर लगाम लग सकेगी।

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