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त्रुदो के नाम पाती ..# २

प्रिय जस्टिन त्रुदो जी, २६ सेप्टेम्बर २०२३

नमस्ते और सत श्री अकाल,

आपको दूसरी पाती लिखते हुए पहले से भी बहुत ही ज़्यादा दुःख हो रहा है. पिछले १ सप्ताह में ही आपने कैनेडा की वर्ल्ड रेपुटेशन को बद से बदतर कर दिया है. सच कहूँ तो आपसे ऐसी उम्मीद नहीं थी. पता नहीं कौन कलमुंहे या कलमुहीं की बुरी नज़र लगी है आपको. इधर जब से आप एलजीबीटीक्यूएफजी ग्रुपों को मदद करने के लिए खुल कर मैदान में आ गए हो तब से लोग पता नहिं कैसी – कैसी बातें बनाने लगे हैं.

सच कहूँ तो मुझे लगता है कि आपको सोफ़िया भाभी से झगड़ा नहीं करना चाहिए था. मेरी मानो तो जा कर उनसे सुलह कर लो.

भारत

आपसे उम्मीद थी कि आप इस हफ़्ते तक ‘पिछले हफ़्ते का फैलाया हुआ रायता समेटते नज़र आएँगे. लेकिन यहाँ तो आपने रायते के ऊपर कढ़ी भी ढोल दी हैं और मीडिया – सोशल के कुत्ते चाट – चाट कर भौंक रहे हैं…

कैनेडा की इंटेलिजेंस को वैसे भी दुनियाँ में पहले भी कोई घास नहीं डालता था. सच कहूँ तो १९८५ के कनिष्क हत्याकांड के बाद कुछ ख़ास बची नहिं थी. लेकिन लोग उम्मीद कर रहे थे कि ३५-४० साल में कुछ तो बदल जाता है. लेकिन दुर्भाग्य से कुछ नहिं बदला.

कैनेडा की भरी संसद में भारत सरकार के ख़िलाफ़ और ख़ालिस्तान के पक्ष में डिप्लोमेटिक जंग का ऐलान करने के बाद आपसे उम्मीद थी कि आप थोड़ा अपनी बुद्धि का उपयोग करेंगे…? लेकिन उसके बाद कैनेडियन पार्लियामेंट में नाज़ी समर्थक का सम्मान करने के बाद तो लगता है कि आप ने वह बुद्धि भी कहीं छोड़ ही दी है.

कंज़रवेटिव लीडर पीयर पोलिव्रे ने आपकी गद्दी पर निशाना साध लिया है. और जगमीत बाक़ी किसी के भी मीत हो न हो लेकिन आपके तो पक्के दुश्मन लगते हैं. कम्बख़्त कोई मौक़ा नहिं छोड़ता आप पर अट्टैक करने का. आगामी लोकसभा के चुनाव में एनडीपी का तो पता नहिं लेकिन आपकी चुनावी लुटिया डूबती नज़र आ रही है.

और कुछ नहिं तो अगर आप सोफ़िया भाभी को छोड़ सकते हैं तो अपने ग़लत सलाहकारों से तो ज़रूर पीछा छुड़ा सकते हैं. आपसे अच्छा तो डग फ़ोर्ड हैं जो गलती करने के बाद कदम पीछे भी लेना जानते हैं. हमारी मानों तो आप भी अपने पिताजी की तरह राजनैतिक संन्यास ले लो…

चलिए बाक़ी बातें बाद में..

शेष अगले ख़त में – आपका एक आम इंडो – भारतीय – कैनेडियन

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