…कस्मै देवाय हविषा विधेम?

January 28, 2024

– शंकर शरण कवियित्री महादेवी वर्मा ने दशकों पहले पाया था कि हमारे बीच जाति-भेद से भी अधिक घातक पार्टी-बाजी भेद है। सो यदि हमारे नेता मंदिरों को दलीय लाभ-हानि के मंसूबे से जोड़ेंगे तो सभ्यतागत शत्रु ताक में बैठे

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