63 Views

“प्रभूतंकार्यमल्पंवातन्नरः कर्तुमिच्छति। सर्वारंभेणतत्कार्यं सिंहादेकंप्रचक्षते॥”

अर्थात् – हमें लक्ष्य प्राप्ति हेतु, लक्ष्य पर ध्यान लगाकर कठिन परिश्रम से यत्न करना चाहिए।

 

“स जातो येन जातेन याति वंशः समुन्नतिम्।
परिवर्तिनि संसारे मृतः को वा न जायते ।।”

अर्थात् – जिसके जन्म से कुल की उन्नति होती है, उसका ही जन्म सफल होता है।

अन्यथा तो इस परिवर्तनशील दुनिया में सब जन्म लेते हैं और सब मरते हैं।

Scroll to Top