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मकान मालिक हो रहे हैं मानसिक उत्पीड़न का शिकार, पुलिस और जन प्रतिनिधि दोनों ही बने धृतराष्ट्र

ओंटारियो। कैनेडा सरकार की बेलगाम इमिग्रेशन पालिसी से ग्रेटर टोरोंटो एरिया, ओंटेरियो में ही नहीं पूरे कैनेडा में बहुत से आपराधिक प्रवृति के लोग घुस आए हैं. जिनके कारण पूरी ज़िंदगी मेहनत कर के घर बनाने वाले टैक्स पेयर कैनेडियंस आतंकित हैं, लेकिन उन्हें सुनने वाला कोई नहीं, ना तो पुलिस प्रशासन ना ही जन प्रतिनिधि.

हालिया मामला ब्रैंपटन ओंटेरियो निवासी प्रवेश और मणि तनेजा का है. तनेजा दम्पत्ति ने जुलाई २०२३ में किरायेदार तो ये सोचकर रखे थे कि पराए देश में किसी को आशियाना मिल जाएगा और हमारी फाइनेंशियल हेल्प हो जाएगी लेकिन इनकी दरियादिली इन्हीं पर भारी पड़ी और ये दंपत्ति पूरे ७ महीनों तक डर-डर कर रहने को मजबूर था।

आइए आपको तफसील से बताते हैं कि आखिर पूरा माजरा क्या है। कानून और पुलिस के ढुलमुल रवैये की वजह से ब्रैम्पटन ईस्ट के हंबरवेस्ट एंड कैसलमोर के रहने वाले दंपत्ति प्रवेश और मनी तनेजा विगत जुलाई से परेशान रहे हैं.

कुछ महीने पहले जुलाई २०२३ में भारतीय मूल के एक युवा दम्पत्ति ने उनसे मकान रेंट पर लेने की बात की थी और मकान किराए पर ले लिया…लेकिन पहले महीने का किराया देने के बाद वो ग़ायब हो गए और उनकी जगह उसी मकान में क़रीब ८ से १० लड़के घुस गए… प्रवेश और मनी बताते हैं कि ये लोग न सिर्फ मकान पर कब्जा करने लगे बल्कि दंबगई भी दिखाने लगे… अपराधिक प्रवृति के इन लोगों ने अगस्त से लेकर अभी तक ना ही कोई किराया दिया ना ही कोई लीज़ साईन की.. बल्कि वे मकान मालिक प्रवेश और मनी तनेजा को धमकाते रहे.. पुलिस में शिकायत के बाद भी कोई एक्शन न होता देख प्रवेश और मनी ने हिंदी टाइम्स मीडिया से सम्पर्क कर अपनी व्यथा सुनाई।

उन्होंने कहा कि ओंटारियो लैंडलॉर्ड टेनेंसी एक्ट की वजह से ब्रैम्पटन में किराएदारों की दबंगई दिन ब दिन बढ़ती जा रही है। हमें तो अपने ही घर के अन्दर जाने नहीं दिया जा रहा था। जिस घर में सिर्फ ४ लोगों को रहने की इजाजत है उस घर में ७-८ लोग रह रहे हैं। मकान मालिक को धमकियां दी जाती हैं। दहशत का ये आलम है कि मकान मालिक अपने घर वालों को लेकर सुरक्षित नहीं महसूस कर रहे हैं। उन्हें हर समय डर लगा रहता है और ऐसे में वो अपने परिवार वालों को अपने रिश्तेदारों के यहां भेज रहे हैं ।

पुलिस ने आश्वासन देकर भी कोई मदद नहीं की। पहले उन्होंने कहा कि २ हफ्ते की नोटिस दे दो, अगर ये नहीं जाते तो हम इन्हें निकालेंगे.
मगर २ हफ्ते बाद जब वापस ये दंपत्ति पुलिस से मदद मांगने जाते हैं तो पुलिस वालों के सुर बदल जाते हैं और वो मदद करने से साफ इन्कार करते हुए अपनी ज़िम्मेदारी को लैंड लॉर्ड और टेनेंट बोर्ड की ओर पुश कर देते हैं.

आइये अब पुलिस से जानते हैं कि इस पूरे मामले में पुलिस का क्या कहना है. हिन्दी टाइम्स मीडिया ने इस मामले को लेकर सारजेन्ट पार्किन से बात की थी जो कि इसे सुलझाने में लगी थीं.

याद रहे कि प्रवेश और मणि तनेजा का यह नाइट मेयर यानी भयानक सपना पूरे ७ महीनें तक चलता रहा. अपने घर में ग़ैर क़ानूनी ढंग से घुसने वाले इन आपराधिक प्रवृति के लोगों को निकलने के लिए तनेजा दम्पत्ति लगातार कोशिश करते रहे लेकिन पुलिस और जन प्रतिनिधि ने उनकी एक ना सुनी. और इल्लिगल ऑकुपेशन के मामले को ओंटेरीयो लैंड लॉर्ड और टेनेंट बोर्ड की तरफ़ धकेलते करते रहे.

रेंटल इंकम, वकील की फ़ीस, मकान की तोड़ – फोड़ आदि में तनेजा दम्पत्ति का क़रीब ५० हज़ार का नुक़सान हो गया. इसमें उनके पूरे परिवार को कितने मानसिक, शारीरिक और भावनात्मक पीड़ा से गुजरना पड़ा उसका तो कोई हिसाब ही नहीं है.

बेशक अब कोर्ट का फ़ैसला प्रवेश तनेजा और मनी तनेजा के हक़ में हुआ है लेकिन उसके पहले उन्हें पिछले कई महीनों से डर के माहौल में रहते हुए दिन गुज़ारने पड़े थे.
कानून नागरिकों के हक और उनकी हिफाजत के लिए बनाए जाते हैं…लेकिन जब कानून ही मुसीबत बन जाए तो आम लोग कहां जाएंगे.

– कैनेडा से राकेश तिवारी की रिपोर्ट

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