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कर्नाटक ने उचित मात्रा में कावेरी जल छोडऩे से इनकार किया, सुप्रीम कोर्ट जाने के अलावा कोई विकल्प नहीं : तमिलनाडु मंत्री

चेन्नई ,१३ अगस्त । नई दिल्ली में आयोजित कावेरी जल नियामक समिति (सीडब्ल्यूआरसी) की बैठक में कावेरी का उचित हिस्सा जारी करने पर चर्चा के बाद तमिलनाडु को नदी का पानी नहीं दिये जाने से नाराज तमिलनाडु के प्रतिनिधिमंडल ने वाकआउट कर दिया। इसके बाद तमिलनाडु सरकार ने कहा कि पानी की कमी के कारण सूख रही खड़ी फसलों को बचाने के लिए उसके पास सुप्रीम कोर्ट में जाने के अलावा और कोई विकल्प नहीं बचा।
तमिलनाडु के जल संसाधन मंत्री दुरईमुर्गन ने यहां एक बयान में कहा कि बैठक में तमिलनाडु सरकार के आग्रह के बाद सर्वसम्मति से कर्नाटक द्वारा १५ दिनों के लिए प्रति दिन १५,००० क्यूसेक पानी छोडऩे का निर्णय लिया गया। लेकिन सीडब्ल्यूआरसी की बैठक में तीन घंटे की चर्चा के बाद और राज्य द्वारा अपनी मांग पर जोर देने के बावजूद, कर्नाटक ने हमेशा की तरह अपना रुख बदल दिया और कहा कि केवल ८,००० क्यूसेक पानी छोड़ा जाएगा और वह भी २२ अगस्त तक।
यह देखते हुए कि कर्नाटक के सभी चार जलाशयों में ११४.५७१ टीएमसीएफटी की कुल क्षमता के मुकाबले ९३.५३५ टीएमसी फीट पानी का पर्याप्त भंडारण है, उन्होंने कहा कि कर्नाटक में पानी छोडऩे का कोई इरादा नहीं है और दोनों राज्यों के बीच चल रहे इस मामले से जुड़े सभी लोग पहले से ही अच्छी तरह से जानते हैं।
पट्टाली मक्कल काची (पीएमके) चाहता है कि कर्नाटक द्वारा तमिलनाडु को कावेरी का पानी देने से इनकार करने के बाद केंद्र सरकार बांधों के प्रबंधन के लिए कावेरी जल प्रबंधन प्राधिकरण (सीडब्ल्यूएमए) का गठन करे।

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