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कर्नाटक हाईकोर्ट ने चीनी लिंक वाली कंपनी का टेंडर किया रद्द, कहा राष्ट्रीय सुरक्षा सर्वोपरि

बेंगलुरु ,०३ अगस्त । कर्नाटक उच्च न्यायालय ने राष्ट्रीय सुरक्षा को जनहित से ऊपर बताते हुए भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड (बीएचईएल) द्वारा एक चीनी कंपनी से संबंध रखने वाली एक निजी कंपनी को दिए गए टेंडर को अवैध करार देते हुए रद्द कर दिया। पीठ ने कहा, सक्षम प्राधिकारी के साथ पंजीकरण की उचित प्रक्रिया का पालन किए बिना केवल जनहित का दावा राष्ट्रीय हित के खिलाफ नहीं किया जा सकता है।
अदालत ने बीएचईएल के इस तर्क को खारिज कर दिया कि इस स्तर पर हस्तक्षेप से परियोजना को लागू करने में देरी होगी। पीठ ने इस तर्क पर भी ध्यान नहीं दिया कि टेंडर रद्द करने से सरकार के खजाने पर वित्तीय दबाव पड़ेगा क्योंकि ५० फीसदी काम पहले ही पूरा हो चुका है।
बीएचईएल ने कोलकाता स्थित बीटीएल ईपीसी लिमिटेड को टेंडर दिया था, जिसने तेलंगाना में थर्मल पावर स्टेशन की स्थापना के एक हिस्से के रूप में ३७८ करोड़ रुपये का ऐश हैंडलिंग प्लांट स्थापित करने के लिए २०२२ में एक चीनी कंपनी फ़ुजिय़ान लॉन्गकिंग कंपनी लिमिटेड के साथ एक कंसोर्टियम समझौता किया था।
मुख्य न्यायाधीश प्रसन्ना बी. वराले और न्यायमूर्ति एम.जी.एस. कमल की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने इस संबंध में पिछले दिनों आदेश दिया था।याचिका नोएडा स्थित कंपनी मैकॉबर बी.के. प्राइवेट लिमिटेड द्वारा दायर की गई थी, जिसने २०२२ में एकल पीठ के आदेश को चुनौती दी थी। एकल पीठ ने चीनी फर्म के साथ संबंध रखने वाली कंपनी को टेंडर देने को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया था।
डबल बेंच ने रेखांकित किया कि भारत के साथ सीमा साझा करने वाले देशों के बोलीदाताओं के लिए सक्षम प्राधिकारी के साथ पंजीकरण कराना अनिवार्य है। इस संबंध में केंद्रीय वित्त मंत्रालय द्वारा राष्ट्रीय रक्षा एवं सुरक्षा हित में २३ जुलाई २०२० को आदेश जारी किया गया था।
पीठ ने कहा कि बीटीसी ईपीसी लिमिटेड तकनीकी रूप से बोली के लिए योग्य नहीं थी और चीनी कंपनी के साथ उसके कंसोर्टियम ने उसे बोली के लिए योग्यता प्रदान की थी। बीटीसी ईपीसी लिमिटेड के वकील ने कहा कि वह बोली में भाग लेने वाली एकमात्र कंपनी थी और चीनी कंपनी के साथ उसका कंसोर्टियम केवल डिजाइन और इंजीनियरिंग प्रदान करने के लिए था। लेकिन पीठ ने इस तर्क को स्वीकार नहीं किया।
पीठ ने बीएचईएल को अपीलकर्ता नोएडा स्थित कंपनी की बोली पर विचार करने का निर्देश दिया। पीठ ने बीएचईएल को उच्चतम न्यायालय में अपील करने के लिए चार सप्ताह का समय भी दिया है।

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