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१०१ बिल्डरों के ख़िलाफ़ १७०५ आरसी जारी, ५०३ करोड़ रुपये की होगी वसूली

ग्रेटर नोएडा , ०९ अप्रैल। गौतमबुद्ध नगर जिला प्रशासन ने रेरा के बकाये की वसूली के लिए बकाएदार बिल्डरों पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया हैं। उत्तर प्रदेश भू-संपदा विनियामक प्राधिकरण (यूपी रेरा) के आदेशों का पालन नहीं करने पर नोएडा और ग्रेटर नोएडा के १०१ बिल्डर कंपनियों के खिलाफ १७०५ आरसी रेरा ने जिला प्रशासन के पास भेज रखी हैं। इनसे ५०३ करोड़ रुपये की वसूली की जानी है। जिला प्रशासन वर्ष २०२१ में ३२ बिल्डरों की ३१५ करोड़ रुपए की संपत्तियां जब्त कर चुका है। जिला प्रशासन की ४० टीमों ने बिल्डर कंपनियों के दफ्तरों से लेकर घरों तक जाकर मुनादी करना शुरू कर दिया। उनके घर और दफ्तर के बाहर आरसी के नोटिस चस्पा किए जा रहे हैं। जो मुनादी के बाद भी रिस्पांस नहीं करेंगे, जिला प्रशासन उनकी संपत्ति सील करेगा, जब्त करने की कार्रवाई करेगा और जेल भी भेजेगा। इनमें तमाम बिल्डर कंपनियों के मालिकों के दफ्तर दिल्ली, फरीदाबाद, गुडग़ांव, गाजियाबाद या अन्य जिलों में है। वहां जाकर भी टीमें कार्रवाई करेंगी।
गौतमबुद्ध नगर के डीएम ने बताया कि १०१ बिल्डर कंपनियों में तहसील दादरी के अंतर्गत ७३ बिल्डर कंपनियां आती हैं। इनमें कई बड़े बिल्डर ग्रुपों की कंपनियां हैं। वेव मेगा सिटी सेंटर प्राइवेट लिमिटेड से ८०.५५ करोड़ की आरसी वसूली जानी है। लॉजिक्स इंफ्रास्ट्रक्चर प्रा. लि. से ३४.५७ करोड़, सुपरटेक टाउनशिप प्रोजेक्ट लि.से ३३.५६ करोड़, महागुन इंडिया प्रा. लि. से १९.९७ करोड़, पाश्र्वनाथ डेवलपर्स लि. से १३.३९ करोड़, इसके अलावा भी कई बड़े ग्रुपों की कंपनियां इनमें शामिल हैं, जिनसे वसूली होगी। एसडीएम सदर को अपनी टीम के साथ २८ बिल्डर कंपनियों से आरसी का पैसा वसूलना है। इनमें ग्रीनवे आरिस इंफ्रा से १७.६३ करोड़ की वसूली का जानी है। इम्पीरिया स्ट्रक्च र लि. से ९.४१ करोड़ की वसूली की जानी है। पाश्र्वनाथ डेवलपर्स लि. से ४.९९ करोड़, न्यू टैंक प्रमोटर्स से ३.७९ करोड़ व बाकी सब इससे कम की राशि वसूली जानी है।
जिला प्रशासन ने इस तरह आरसी वसूलने के लिए पहले भी बिल्डरों पर कार्रवाई की है। वर्ष २०२१ में ३२ बिल्डरों की ३१५ करोड़ रुपए की संपत्तियां जब्त कर चुका है. अब जिला प्रशासन ने बड़े स्तर पर वसूली के लिए अभियान चलाने का फैसला लिया है। आज से ही कार्रवाई शुरू कर दी गई है। प्रशासन का लक्ष्य है कि अगले एक दो महीने में इन ५०३ करोड़ में से ज्यादा से ज्यादा रकम बिल्डरों से वसूला जा सके।

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