चीन की कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीसी) की २०वीं कांग्रेस (महाधिवेशन) सार यह रहा कि राष्ट्रपति शी जिनपिंग अब व्यक्ति और विचार के रूप में पार्टी के निर्विवाद नेता मान लिए गए हैं। बल्कि कुछ विश्लेषकों का तो यह कहना है कि सीपीसी में शी का अब लगभग वह दर्जा हो गया है, जो कभी माओ जेदुंग को प्राप्त था। हालांकि पार्टी पर शी के प्रभाव को लेकर पहले भी कोई शक नहीं था, लेकिन ऐसे तमाम संकेत हैं कि २०वीं कांग्रेस ने मोटे तौर पर शी जिनपिंग की नीतियों और विचारों पर मुहर लगा दी है। अब सीपीसी ने शी के विचारों और लेखन को भी पार्टी ने आत्मसात कर लिया है। यानी शी की विचारधारा को, जिसे शी जिनपिंग थॉट के नाम से जाना जा रहा है- अब पार्टी की विचारधारा माना जाएगा। शी वैसे तो अपने इन विचारो को पहले से सामने रख रहे हैं, लेकिन कांग्रेस के उद्घाटन सत्र में उन्होंने इसकी फिर व्याख्या की थी। उन्होंने चीन के ‘समाजवादी आधुनिकीकरण’, साझा समृद्धि, पर्यावरणीय सभ्यता के निर्माण, और २०४९ तक चीन को पूर्णत: समृद्ध समाज बनाने के बारे में अपनी कार्ययोजना पेश की है।
साथ ही उन्होंने २०३५ तक चीन को हाई टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में दुनिया की अग्रणी शक्ति बनाने और उसी वर्ष तक देश में कानून के राज (रूल ऑफ लॉ) आधारित शासन कायम करने का लक्ष्य भी पेश किया है। गौरतलब है कि सीपीसी की कांग्रेस का आयोजन हर पांच साल पर होता है। यह पार्टी की नीति को अंतिम रूप देने और पदाधिकारियों के चुनाव का मौका होता है। इस बार सीपीसी के २,२९६ प्रतिनिधियों ने इसमें हिस्सा लिया। उन्होंने शी जिनपिंग के पांच साल और सीपीसी का महासचिव, चीन का राष्ट्रपति, और देश के राष्ट्रीय सैनिक आयोग का अध्यक्ष बने रहने का रास्ता साफ कर दिया। इस तरह हर दस साल पर नेतृत्व बदलने की दो दशकों से चल रही परंपरा टूट गई है। पश्चिमी दुनिया की निगाहें यही देखने पर थीं कि इस कांग्रेस में शी को कितना समर्थन मिलता है। जाहिर है, शी को कमजोर होते देखने वाली शक्तियों को सामने आए परिणामों से मायूसी होगी।
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