आरती (माँ दुर्गा, माँ काली आरती)
अम्बे तू है जगदम्बे काली, जय दुर्गे खप्पर वाली । तेरे ही गुण गाये भारती, ओ मैया हम सब उतरें, तेरी आरती ॥ तेरे भक्त जनों पर, भीड़ पडी है भारी माँ । दानव दल पर टूट पडो, माँ करके
ईश्वर हैं भी या नहीं!
आपके मन में कभी भी ऐसे प्रश्न आते हैं क्या- मैं तो इतनी पूजा-पाठ, भक्ति भाव में लीन हूं फिर भी मेरे साथ ही ऐसा क्यों होता है? भगवान सारी परेशानियां मुझे ही क्यों देते हैं? दुष्ट लोग इतने सुखी
भौतिकता के पीछे मत भागिए
“भौतिक” और “आध्यात्मिक” विचारधारा में एक मौलिक मतभेद है। “आध्यात्मिक” आदर्श मनुष्य का जीवन अन्य प्राणियों की अपेक्षा श्रेष्ठतर मानते हैं और मनुष्य से दिव्य जीवन के दार्शनिक दृष्टिकोण को समझने की अपेक्षा करते हैं। दिव्यजीवन का अर्थ है “मानवीय
