115 Views

66 बिलियन अमेरिकी डॉलर की डील हाथ से निकलने पर फ्रांस की राजनीति में उथल-पुथल

पैेरिस,19 सितंबर। 90 बिलियन ऑस्ट्रेलियाई डॉलर (करीब 66 बिलियन अमेरिकी डॉलर) की सबमरीन डील हाथ से निकलने के बाद फ्रांस की राजनीति में उथल-पुथल मची हुई है। राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों अपनी छवि बचाने के लिए किसी तरह डैमेज कंट्रोल करने में लगे हुए हैं।इस कड़ी को आगे बढ़ाते हुए फ्रांस ने अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया से अपने राजदूतों को वापस बुला लिया है। इस फैसले के बाद फ्रांस के विदेश मंत्री जीन-यवेस ले ड्रियन ने कहा कि यह निर्णय राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने लिया है। ऑस्ट्रेलिया, यूनाइटेड किंगडम ब्रिटेन और यूनाइटेड स्टेट अमेरिका के बीच एक समझौता हुआ है। इसे ऑकस (AUKUS) नाम दिया गया है। इसमें ऑस्ट्रेलिया को न्यूक्लियर पावर्ड (परमाणु ऊर्जा से चलने वाली) सबमरीन बनाने की तकनीक दी जाएगी। तीनों देशों के बीच हुई डील से फ्रांस बेहद नाराज है। क्योंकि, इस डील के बाद फ्रांस और ऑस्ट्रेलिया के बीच 2016 में हुआ 12 सबमरीन बनाने का सौदा खत्म हो गया है। यह डील अरबों डॉलर की थी। इसके तहत ऑस्ट्रेलिया, फ्रांस को 90 बिलियन ऑस्ट्रेलियाई डॉलर चुकाने वाला था। व्हाइट हाउस की ओर से जारी बयान में फ्रांस के इस कदम को खराब बताया है। अमेरिका की तरफ से कहा गया कि वे फ्रांस से मतभेद दूर करने के लिए बातचीत करते रहेंगे। ऑस्ट्रेलिया की विदेश मंत्री मरीस पेन ने कहा कि वे फ्रांस से अच्छे संबंध की उम्मीद करती हैं, ऑस्ट्रेलिया बातचीत जारी रखेगा। इस तरह राजदूत को बुलाना अच्छा नहीं है।
चीन के बढ़ते प्रभुत्व को रोकने के लिए भारत, अमेरिका, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया ने मिलकर क्वाड ग्रुप बनाया है। इन चारों देशों में सैन्य शक्ति के तौर पर ऑस्ट्रेलिया बेहद कमजोर देश है। ऑस्ट्रेलिया का रक्षा बजट केवल 35 बिलियन अमेरिका डॉलर है। जबकि भारत का बजट 65 बिलियन डॉलर, अमेरिका का 740 बिलियन डॉलर और ब्रिटेन का 778 बिलियन डॉलर है। ऑस्ट्रेलिया के पास इस वक्त एक भी न्यूक्लियर पावर्ड सबमरीन नहीं है। माना जा रहा है कि अमेरिका और ब्रिटेन ने ऑस्ट्रेलिया की नेवी को मजबूत करने के लिए यह डील की है। इससे चीन को दक्षिण चीन सागर में सीधे चुनौती मिलेगी।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top