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सुहागिनों का बड़ा पर्व हरियाली तीज

हरियाली तीज का त्योहार सावन महीने के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। विवाहित महिलाओं के लिए ये बड़े उत्सवों में से एक है। अनेक भारतीय सनातनी विवाहित महिलाएं तीज के दिन अपने पति की लम्बी उम्र के लिए निर्जला व्रत भी करती हैं।
विवाहित महिलाएं हरियाली तीज के दिन भगवान शिव और माता पार्वती की आराधना करती हैं और अपने खुशहाल पारिवारिक जीवन की कामना करती हैं। शादीशुदा महिलाएं पूजा के लिए मिट्टी से शिव और पार्वती माता की मूर्ति बनाती हैं। तीज के मौके पर विवाहिता अपने पति की लंबी उम्र और अच्छी सेहत के लिए प्रार्थना करती हैं। इस मौके पर महिलाएं झूला झूलती हैं और लोकगीत गाती हैं। नवविवाहिताओं को मायके बुलाया जाता है। वहां मिठाई, कपड़े और गहने भेंट में दिए जाते हैं। हरियाली तीज पर पूरा दिन निर्जल व्रत करने के पश्चात् अगले दिन पूजा के बाद व्रत का पारायण करती हैं।
हरियाली तीज का महिलाएं इसलिए भी इंतजार करती हैं क्योंकि इसमें उन्हें दुल्हन की तरह सोलह श्रृंगार करने का मौका मिलता है। सावन माह में आने वाले इस पर्व में हरे रंग का बड़ा महत्व है। हरियाली तीज के दिन हरी चूड़ियां, हरे रंग के वस्त्र, मेहंदी लगाने और पूरा श्रृंगार करने की परंपरा है। इस उत्सव में महिलाएं सज-धज कर साथ में भजन-कीर्तन करती हैं।
इस वर्ष हरियाली तीज का व्रत बुधवार,11 अगस्त को रखा जाएगा। तृतीया तिथि 10 अगस्त को शाम 06 बजकर 05 मिनट से प्रारम्भ होकर 11 अगस्त को शाम 04 बजकर 53 मिनट तक रहेगी।

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