इस्लामाबाद। सऊदी अरब ने पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह में 10 अरब डॉलर की तेल रिफाइनरी बनाने का फैसला वापस ले किया है। ग्वादर बंदरगाह के बजाय, सऊदी अरब कराची में तेल रिफाइनरी बनाने पर विचार कर रहा है। ग्वादर बंदरगाह पाकिस्तान में चीन की बेल्ट ऐंड रोड इनिशिएटिव का सबसे अहम हिस्सा है। हालांकि, सऊदी अरब के ग्वादर से निवेश से कदम पीछे खींचने से ये बात साबित हो गई है कि ग्वादर निवेश के हब के तौर पर अपनी अहमियत खोता जा रहा है।
पाकिस्तान के ऊर्जा और तेल मामलों के विशेष सलाहकार ताबिश गौहर ने मीडिया को बताया था कि सऊदी अरब ग्वादर में रिफाइनरी का निर्माण नहीं करेगा। सऊदी अरब कराची के नजदीक एक पेट्रोकेमिकल कॉम्प्लेक्स के साथ तेल रिफाइनरी बनाएगा। गौहर ने बताया था कि अगले पांच साल में 2 लाख बैरल प्रतिदिन की क्षमता वाली एक अन्य रिफाइनरी भी पाकिस्तान में बन सकती है।
जब साल 2019 में सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान पाकिस्तान के दौरे पर आए थे तो उसी दौरान यह समझौता हुआ था। सऊदी अरब ने फरवरी 2019 में ग्वादर में एक तेल रिफाइनरी और पेट्रोकेमिकल कॉम्प्लेक्स में 10 अरब डॉलर के निवेश के लिए एमओयू पर हस्ताक्षर किए थे। उस वक्त पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार बिल्कुल खत्म होने के कगार पर था। पेट्रोलियम सेक्टर में पाकिस्तान के एक अधिकारी ने निक्केई एशिया से नाम नहीं बताने की शर्त पर कहा है कि ग्वादर में मेगा ऑइल रिफाइनरी कभी बहुत सुलभ नहीं था। उन्होंने कहा, ”ग्वादर में एक तेल रिफाइनरी तभी प्रभावी हो सकती है जब कराची से पाइपलाइन की दूरी 600 किलोमीटर होती। कराची ही तेल आपूर्ति का केंद्र है।” अभी कराची से उत्तरी पाकिस्तान में पाइपलाइन है लेकिन पूर्व में नहीं है। बिना पाइप लाइन के ग्वादर से रोड के जरिए टैंकर में तेल भेजना बहुत महंगा होगा। उस अधिकारी ने कहा कि ग्वादर में आधारभूत ढांचे को देखते हुए ऐसा लगता है कि वहां तेल रिफाइरी अगले 15 सालों में भी संभव नहीं है।
101 Views