वाशिंगटन, 23 अगस्त।अमेरिका में स्वास्थ्य बीमा योजना के कारण दवाइयों की कीमतों में बेतहाशा वृद्धि हुई है। उदाहरण के लिए बुढ़ापे की बीमारी अल्जाइमर की दवा-एडुहेल्म की साल भर की खुराक का मूल्य 41 लाख 63740 रुपए है। इतने खर्च में अल्जाइमर के मरीज की घर में एक साल तक देखभाल हो सकती है। खाद्य एवं दवा प्रशासन ( एफडीए) द्वारा जून में बायोजेन कंपनी की इस दवा को मंजूरी देने का विरोध किया गया था। इसके बाद एजेंसी ने अपना फैसला बदल दिया। उसने किसी विशेषज्ञ की जांच के बिना दवा को स्वीकृति दे दी थी।
दरअसल कुछ समय पहले तक बहुत महंगी दवाएं कम संख्या में होती थीं। अब मेडिकेयर के तहत आने वाली बीस फीसदी दवाओं के मूल्य बहुत अधिक हैं। डॉक्टर के प्रिसक्रिप्शन के आधार पर मेडिकेयर का भुगतान होता है। ये दवाइयां औसत बाजार मूल्य से जुड़ी होती हैं।
मेडिकेयर में कीमतें अधिक होने का प्रभाव खुले बाजार में भी पड़ा है। हालांकि मेडिकेयर डॉक्टरों द्वारा प्रिस्क्राइब बेहद महंगी दवाइयों के मूल्य 35 प्रतिशत तक कम कर सकता है। दरअसल जब दवाइयां स्वास्थ्य बीमा के दायरे में आती हैं तब मरीज उनकी कीमतों पर अधिक ध्यान नहीं देते हैं। इसलिए दवा निर्माताओं द्वारा मूल्य बढ़ाने की संभावना रहती है। डॉक्टर द्वारा लिखी दवाइयों के मूल्य मेडिकेयर पॉलिसी के कारण बढ़े हैं।
मेडिकेयर के अंतर्गत आने वाले मरीजों की संख्या बहुत बड़ी है। जब अधिक संख्या में खरीदार कीमत चुकाने के लिए तैयार रहते हैं तब विक्रेता दवाइयों के मूल्य बढ़ा देते हैं। अमेरिका में अल्जाइमर से पीड़ित 60 लाख मरीजों में से 95 प्रतिशत मेडिकेयर में आते हैं। अगर प्रमुख खरीदार मूल्य चुका सकते हैं तो कीमत बढ़ना स्वाभाविक है।
कुछ साल पहले अनुमान लगाया गया था कि डॉक्टरों द्वारा प्रिसक्राइब की गई सबसे ज्यादा महंगी दवाइयां के एक तिहाई खरीदार मेडिकेयर मरीज थे। मेडिकेयर यदि अपनी वर्तमान नीति बदल दे तो बहुत ज्यादा बिकने वाली दवाइयों की कीमत एक तिहाई कम हो सकती है। मेडिकेयर बीमा योजना ने दवा बाजार में कीमतों को अस्त-व्यस्त कर दिया है।
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