पटना। 2019 लोकसभा चुनावों के लिए बीजेपी और जेडीयू के बीच ’50-50′ डील के बाद बिहार में सियासी सरगर्मी और तेज हो गई है। इस डील के बाद बिहार में एनडीए के अन्य सहयोगी दल राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (आरएलएसपी) और लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) ने अब बीजेपी पर दबाव की राजनीति शुरू कर दी है। इसी क्रम में आरएलएसपी चीफ उपेंद्र कुशवाहा ने बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह से बात की है। इस बातचीत के बाद कुशवाहा ने दावा किया कि अभी सीटों की संख्या (किस पार्टी को कितनी सीटें) पर अंतिम फैसला नहीं हुआ है। हालांकि आगे के पत्ते नहीं खोलते हुए कुशवाहा ने सिर्फ इतना कहा कि अभी वह इस मामले में और कुछ नहीं कह सकते।
बता दें कि 2019 लोकसभा चुनाव के लिए बिहार में बीजेपी-जेडीयू में सीट शेयरिंग फॉर्म्युला फाइनल हो चुका है। इसका ऐलान बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह और बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने संयुक्त रूप से किया सूत्रों की मानें तो दोनों पार्टियां 17-17 सीटों पर चुनाव लड़ेंगी, जबकि एलजेपी 4 और आरएलएसपी 2 सीटों पर चुनाव लड़ेंगी। हालांकि अभी तक अधिकारिक तौर पर इसका ऐलान नहीं हुआ है।
दरअसल, इस सममझौते से अभी बिहार में बीजेपी के लिए मुश्किलें खत्म नहीं हुई हैं। ऐसा इसलिए भी है कि अब बीजेपी के सामने सबसे बड़ी चिंता और चुनौती उन नेताओं को मनाने की होगी, जिनकी सीटें सहयोगी दलों को दी जाएंगी। अगर बीजेपी 17 सीटों पर लड़ती है तो 5 मौजूदा सांसद का टिकट कटेगा और 12 सीटों पर दावेदारी हटेगी। ऐसे में बीजेपी को अपने मौजूदा सांसद और नेताओं की नाराजगी का सामना करना पड़ सकता है। इसके अलावा रामविलास पासवान की पार्टी को भी 2 मौजूदा सीट छोड़नी पड़ सकती है। खबर है कि उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी को भी एक सीट छोड़नी पड़ सकती है। यही वजह है कि इस डील के सामने आने के साथ ही दोनों पार्टियों ने अपने तेवर दिखाने शुरू कर दिए हैं। शुक्रवार को कुशवाहा ने जहां तेजस्वी यादव से मुलाकात की वहीं केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान के बेटे और सांसद चिराग पासवान ने तेजस्वी के साथ फोन पर 10 मिनट बात की। हालांकि बाद में कुशवाहा ने बाद में सफाई देते हुए इसे महज एक मुलाकात करार दिया।
वहीं चिराग ने दावा किया कि उनकी पार्टी एनडीए के साथ ही रहेगी। माना जा रहा है कि बीजेपी-जेडीयू ने कुशवाहा के गठबंधन से अलग होने के बाद की स्थिति भी तय कर ली है। जेडीयू से जुड़े सूत्रों के अनुसार, अगर उपेंद्र कुशवाहा एनडीए गठबंधन से अलग हुए तो उनकी सीट जेडीयू और बीजेपी के बीच बराबर बंट जाएगी। वहीं एलजेपी बिहार चीफ पशुपति कुमार ने कहा कि 2014 लोकसभा चुनावों में एलजेपी जिन 7 सीटों पर चुनाव लड़ी थी, उसे वही सीटें चाहिए। उन्होंने कहा कि इससे कम पर समझौता होने की संभावना नहीं है। इसके साथ ही कुमार ने यूपी और झारखंड में भी कुछ सीटों की मांग कर दी। उधर, इस सवाल पर कि क्या आरएलएसपी को इच्छा के मुताबिक सीटें नहीं मिलीं तो कुशवाहा आरजेडी के नेतृत्व वाले महागठबंधन का हिस्सा बनेंगे? इस सवाल पर आरएलएसपी के राष्ट्रीय महासचिव और प्रवक्ता माधव आनंद ने कहा कि हमें 50-50 डील के साथ कोई समस्या नहीं है लेकिन अमित शाह ने यह भी कहा है कि एनडीए के सभी सहयोगियों को सम्मानजनक सीटें मिलेंगी।
