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पाकिस्तान की कमजोर अर्थव्यवस्था को चीन का सहारा, भारत की बढ़ेगी टेंशन!

इस्लामाबाद। बीते कुछ वर्षों में पाकिस्तान ने काफी कर्ज लिया है और इसका सबसे बड़ा हिस्सा उसने चीन से लिया है। चीन की कई महत्वपूर्ण परियोजनाएं पाकिस्तान में चल रही हैं। हालांकि अब चीन ने फैसला किया है कि वह पाकिस्तान को कोई नकदी नहीं देगा। चीन का कहना है कि बड़े वित्तीय संकट का सामना कर रहे पाकिस्तान को लोन देने के बजाय वह वहां कई क्षेत्रों में निवेश करेगा और व्यवसाय भी लॉन्च करेगा। गौरतलब है कि पिछले महीने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने चीन का दौरा किया था ताकि अपने देश की असफल आर्थिक स्थिति को दूर करने के लिए वह वहां से आर्थिक पैकेज प्राप्त कर सकें। पेइचिंग से लौटने पर उनके कैबिनेट सदस्यों ने दावा किया कि यह यात्रा सबसे सफल थी और इसकी वजह से बकाया के लिए अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष पर इस्लामाबाद की निर्भरता को कम करने में मदद मिली थी।
इसके एक हफ्ते बाद, वित्त मंत्री असद उमर ने घोषणा की कि पाकिस्तान के भुगतान संकट का संतुलन प्रभावी ढंग से सुधार लिया गया है। रिपोर्टर्स से बातचीत के दौरान उमर ने कहा था, ‘ 12 बिलियन डॉलर के वित्त पोषण अंतर में, सऊदी अरब से $ 6 बिलियन आए हैं और बाकी चीन से। साथ ही उमर ने यह भी कहा था कि इसके लिए पाक का एक उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल चीन जाएगा। हालांकि अब चीन ने पाकिस्तान को नकदी देने से मना कर दिया है। इसकी जानकारी देते हुए लाहौर में चीनी कॉन्सल जनरल लांग डिंगबिन ने स्थानीय टीवी स्टेशन जियो न्यूज से कहा, ‘नकदी के बजाय चीन पाकिस्तान को कई तरह के बकाया (बेलआउट) पैकेज उपलब्ध कराने की योजना बना रहा है। इसके तहत नई परियोजनाओं में निवेश, चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (सीपीईसी) के तहत सहयोग जैसे कई प्रॉजेक्ट शामिल हैं। लांग ने आगे कहा कि चीन पाकिस्तान को कभी भी मंझधार में नहीं छोड़ेगा और उसके कमजोर अर्थव्यवस्था को संभालने के लिए अधिकतम संसाधनों का इस्तेमाल करेगा। उन्होंने आगे बताया कि पाक पीएम इमरान खान की चीन की यात्रा के दौरान दोनों देशों ने 15 नए समझौतों पर हस्ताक्षर किए थे। इनकी वजह से राजनीति और वित्तीय क्षेत्र में सहयोग में वृद्धि होगी और सांस्कृतिक संबंधों में भी सुधार होगा। पाकिस्तान के बढ़ते कर्ज के बारे में एक सवाल पूछे जाने पर लांग ने इस तर्क को खारिज कर दिया कि सीपीईसी ने देश के कर्ज में योगदान दिया था उन्होंने कहा कि सीपीईसी के तहत शुरू की गई 22 परियोजनाओं में से केवल चार रियायती ऋण प्रदान करती हैं, जबकि अन्य परियोजनाएं निवेश आधारित थीं और पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को मजबूत करेंगी।

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