वाराणसी। कोरोना की नई लहर ने कहर बरपा रखा है। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि काशी जहां जन्म भी जश्न होता है और मृत्यु भी जश्न, वहां के महाश्मशान में इस वक़्त अंतिम संस्कार के लिए पांच से छह घंटों का इंतजार करना पड़ रहा है। हरिश्चंद्र घाट के हालात डरा रहे हैं। हरिश्चंद्र घाट पर सीएनजी शवदाह गृह पर केवल कोरोना से मरने वालों का दाह संस्कार होता है, लेकिन रास्ता एक ही होने के कारण यहां दहशत का माहौल है। सरकारी तौर पर ऐसी किसी भी चर्चा को खारिज करते हुए बताया जा रहा है कि केवल सामान्य मौत वालों का ही घाट किनारे अंतिम संस्कार किया जा रहा है। घाट से उतरते ही इधर-उधर पड़े पीपीई किट डरा रहे हैं. आलम यह है कि घाट किनारे सामान्य मौत वालों को भी 5 से 6 घंटे का इंतजार करना पड़ रहा है। पिछले 5 दिनों से यहां 3 गुना ज्यादा शव पहुंच रहे हैं। यहां वाराणसी के अलावा भदोही, मिर्ज़ापुर, चंदौली, जौनपुर आदि जिलों के कोरोना से दम तोड़ने वाली लाशों का भी अंतिम संस्कार हो रहा है. मणिकर्णिका घाट पर भी बीते पांच दिनों में शवों की संख्या औसतन अस्सी से सीधे 250 तक पहुंच गई है।
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