117 Views

कोरोनाकाल में पढ़ाई में पिछड़ रहे स्‍कूली बच्‍चे

ओटावा। कोविड-19 महामारी के चलते बच्चों की पढ़ाई और मानसिक स्वास्थ्य पर गंभीर असर पड़ रहा है। पैरेंट्स बच्चों की प्रगति से संतुष्ट नहीं है। कई छात्रों ने स्कूल बंद होने के कारण वर्चुअल और इन-पर्सन सीखने के बीच शिथिलता का अनुभव किया है। चिंतित माता-पिता, शिक्षा शोधकर्ताओं और विकास विशेषज्ञों के लिए खतरे की घंटी बज रही है कि कैसे सभी बैरियर्स छात्रों की इस पीढ़ी को प्रभावित कर रहे हैं। विशेष रूप से कैनेडा के सबसे कम उम्र के शिक्षार्थी इस समस्या से ज्यादा प्रभावित है। एक चल रही यू.के. परियोजना पिछले साल सितंबर में स्कूलिंग शुरू करने वाले चार और पांच वर्षीय बच्चों की जांच कर रही है। अपने शुरुआती निष्कर्षों में 76 प्रतिशत भाग लेने वाले स्कूलों ने बताया कि उन्हें पिछले वर्षों में शुरू किए गए किंडरगार्टर्स की तुलना में अधिक सपोर्ट की आवश्यकता है। खास तौर से कम्युनिकेशन और भाषा विकास, व्यक्तिगत, सामाजिक और भावनात्मक विकास और साक्षरता के क्षेत्र में । कनाडा में शिक्षा शोधकर्ता जॉर्ज जॉर्जीऊ ने अल्बर्टा में प्राइमरी एज ग्रुप के छात्रों के बीच पढ़ने की कमी का पता लगाया है। एडमॉन्टन के आसपास के स्कूलों में परीक्षण करने के बाद उन्होंने पाया कि ग्रेड 1 में 3 के माध्यम से छात्र अपने ग्रेड स्तर से लगभग आठ से 12 महीने नीचे पढ़ रहे थे। अलबर्टा विश्वविद्यालय में एजुकेशन प्रोफेसर जॉर्जियो अब प्रांतीय शिक्षा मंत्रालय के साथ मिलकर अपने वॉलंटरी टेस्ट प्रोग्राम का विस्तार करने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं। ताकि तेजी से पढ़ने के स्ट्रगल की पहचान की जा सके। पिछले कुछ समय में स्ट्रगल कर रहे बच्चों के साथ सीधे हस्तक्षेप करने वाले स्कूल डिवीजनों ने लगभग 80 प्रतिशत छात्रों को रिदम हासिल करने में मदद की। अपनी रीसेंट रिसर्च के दौरान जॉर्जीऊ ने पाया कि ऑनलाइन सीखने वाले बच्चे व्यक्तिगत रूप से सीखने वाले बच्चों की तुलना में ज्यादा कठिनाइयों से प्रभावित हुए हैं।
जबकि ऑनलाइन इंटरवेंशन प्रोग्राम स्ट्रगल कर रहे बच्चों को कुछ हद तक सुधारने में मदद कर सकते हैं। जॉर्जीऊ ने कहा कि की गई स्टडी से यह पता चलता है कि ऑनलाइन एजुकेशन फेस टू फेस इंस्ट्रक्शंस के मुकाबले ज्यादा इफेक्टिव नहीं है।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top