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कुल्फी बेचने को मजबूर है हरियाणा का यह अर्जुन अवॉर्डी बॉक्सर

भिवानी (हरियाणा)। कभी बॉक्सिंग में भारत का नाम ऊंचा करने वाले हरियाणा के बॉक्सर दिनेश कुमार इन दिनों ठेले पर कुल्फी बेचने को मजबूर हैं। दिनेश ने अपने बॉक्सिंग करियर में इंटरनैशनल और नैशनल लेवल पर उम्दा परफॉर्म कर 17 गोल्ड, 1 सिल्वर और 5 ब्रॉन्ज (कुल 23) मेडल अपने नाम किए। बॉक्सिंग में उनके योगदान के लिए उन्हें अर्जुन अवॉर्ड से भी सम्मानित किया जा चुका है। लेकिन आज अपनी आजीविका कमाने और पिता के सिर से कर्ज का बोझ उतारने के लिए यह बॉक्सर पिता संग कुल्फी बेचने को मजबूर है। 30 वर्षीय दिनेश कुछ साल पहले एक सड़क दुर्घटना का शिकार हो गए थे। दुर्घटना में चोटिल हुए दिनेश के इलाज के लिए पिता को लोन लेना पड़ा। इस चोट के बाद दिनेश के बॉक्सिंग करियर का निराशाजनक अंत हो गया। इस कर्ज से पहले उनके पिता ने दिनेश की बॉक्सिंग ट्रेनिंग के लिए भी कर्ज लिया था। पिता की चाहत थी कि उनका बेटा इंटरनैशनल स्तर पर बॉक्सिंग में कामयाब बने। बेटे ने पिता का सपना साकार भी कर दिया लेकिन सड़क दुर्घटना के कारण दिनेश का बॉक्सिंग करियर खत्म हो गया।
परिवार पर कर्ज का दबाव बढ़ गया। दिनेश ने कई बार सरकार से गुहार लगाई कि उन्हें कोई नौकरी मिल जाए, ताकि वह अपनी आजीविका चला सकें। लेकिन न तो पूर्व की सरकार और न ही वर्तमान सरकान ने अभी तक उनकी कोई मदद की है। दिनेश को आखिरकार अपनी आजीविका के लिए और सिर से कर्ज का बोझ उतारने के मकसद से पिता के साथ कुल्फी बेचने को मजबूर होना पड़ा है। दिनेश सरकार से चाहते हैं कि उन्हें बतौर कोच राज्य में कोई नौकरी मिल जाए, ताकि वह युवा बॉक्सर को इंटरनैशनल स्तर के लिए तैयार कर सकें। दिनेश कहते हैं, ‘मैं इंटनैशनल और नैशनल स्तर पर खेल चुका हूं। मैंने अपने करियर में 17 गोल्ड, एक सिल्वर और 5 ब्रॉन्ज मेडल जीते हैं। मेरे पिता ने मेरे लिए लोन लिया था, ताकि मैं इंटरनैशनल स्तर पर बॉक्सिंग कर सकूं। अब मुझे वह लोन चुकाना है। कर्ज चुकाने के लिए मैं पिता के साथ कुल्फी बेचने को मजबूर हूं। मुझे न तो पहले की और न ही वर्तमान सरकार से कोई मदद मिली है।’ दिनेश ने सरकार से गुहार लगाते हुए कहा, ‘मैं सरकार से प्रार्थना करता हूं मुझे मेरा कर्ज उतारने के लिए वह मदद दे। मैं युवाओं को इंटरनैशनल स्तर पर बॉक्सिंग के लिए तैयार कर सकता हूं।’ दिनेश के कोच विष्णु भगवान कहते हैं, ‘दिनेश फुर्तीला बॉक्सर था। उसने अपने करियर में जूनियर और सीनियर स्तर पर कई मेडल जीते। लेकिन एक दुर्घटना के कारण उसके बॉक्सिंग करियर का अंत हो गया और आज वह कुल्फी बेचने को मजबूर है। अगर सरकार उसकी मदद करे, तो उसके सिर से कर्ज उतर सकता है और वह भविष्य अपनी जिंदगी की गुजर बसर कर सकता है।’

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