अमृतसर,29 सितंबर। पंजाब कांग्रेस में मचे घमासान के बीच कांग्रेस हाईकमान ने नवजोत सिद्धू का इस्तीफा फिलहाल नामंजूर कर दिया है और उन्हें मनाने की कोशिश की जा रही है। इसी बीच सिद्धू के पटियाला स्थित घर में हलचल बढ़ गई है। सिद्धू यहां से चंडीगढ़ जा सकते हैं। वहां वह किन नेताओं से मिलेंगे, इसके बारे में स्थिति साफ नहीं है। कांग्रेस हाईकमान ने मुख्यमंत्री चरणजीत चन्नी को सिद्धू को मनाने का जिम्मा सौंपा है। चन्नी ने आज सुबह भी मंत्री परगट सिंह और अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग को पटियाला भेजा था। वहां दोनों मंत्रियों की सिद्धू के साथ बैठक हुई। इसके बाद दोनों मंत्री चंडीगढ़ आ गए। वहीं, मुख्यमंत्री चन्नी की अगुवाई में कैबिनेट की मीटिंग शुरू हो गई है। इस कैबिनेट बैठक में हाईकमान के दिए 18 सूत्रीय फॉर्मूले से जुड़े बड़े फैसले लिए जा सकते हैं। जिससे सीधे तौर पर सिद्धू को जवाब दिया जाएगा। सिद्धू ने इस्तीफे की वजह नहीं बताई है। हालांकि उनके सलाहकार इसे हाईकमान के फॉर्मूले पर काम न करने से जोड़ रहे हैं। कैबिनेट की मीटिंग के बाद मुख्यमंत्री चन्नी मीडिया से भी बातचीत कर सकते हैं। चन्नी कैबिनेट की बैठक ऐसे वक्त पर हो रही है, जब सिद्धू के इस्तीफे की टाइमिंग से ज्यादातर मंत्री नाखुश हैं। मंगलवार को जिस वक्त नए मंत्री कामकाज संभाल रहे थे, उसी वक्त सिद्धू ने इस्तीफा देकर सबको चौंका दिया। इसके बाद देर रात तक मुख्यमंत्री चन्नी पंजाब सचिवालय में बैठे रहे। उन्होंने मंत्रियों के साथ बैठक भी की। हालांकि उन्होंने कहा था कि सिद्धू से बात कर उनकी नाराजगी के बारे में जानकारी लेंगे। सिद्धू ने मंगलवार दोपहर पंजाब कांग्रेस प्रधान पद से इस्तीफा दिया था। इसके कुछ देर बाद कोषाध्यक्ष गुलजार इंदर चहल ने भी इस्तीफा दे दिया। इसके बाद सिद्धू के रणनीतिक सलाहकार पूर्व डीजीपी मुहम्मद मुस्तफा की पत्नी और कैबिनेट मंत्री रजिया सुल्ताना ने भी मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। थोड़ी देर बाद महासचिव योगेंद्र ढींगरा ने भी इस्तीफा दे दिया। इसके बाद परगट सिंह के इस्तीफे की अफवाह उड़ी, लेकिन उन्होंने इसे खारिज कर दिया।
फिलहाल पंजाब में राजनीति रोज नए रंग दिखा रही है। कांग्रेस की अंतर कलह अब खुलकर सामने आ चुकी है। हालांकि नवनियुक्त मुख्यमंत्री, सिद्धू को मनाने का प्रयास करने में लगे हैं लेकिन सिद्धू के मूड की अभी कोई थाह नहीं लग पा रही है। सिद्धू के खेमे में भारी हलचल देखी जा रही है। जिससे कयास लगाए जा रहे हैं कि अभी पंजाब की राजनीति में अभी शांति देखने को नहीं मिलेगी। अभी शायद और भी कुछ चौकानेवाले निर्णय लिए जा सकते हैं।
