नई दिल्ली। चुनाव आयोग ने पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों की तारीखों का आज ऐलान कर दिया। आयोग ने छत्तीसगढ़ में दो चरणों में चुनाव कराने की घोषणा की है। इसके अलावा मध्य प्रदेश, मिजोरम, राजस्थान और तेलंगाना में एक चरण में ही चुनाव कराए जाएंगे। छत्तीसगढ़ में पहले चरण में 18 सीटों पर 12 नवंबर को वोटिंग होगी। इसके बाद दूसरे चरण में 72 विधानसभा क्षेत्रों में 20 नवंबर को चुनाव होंगे। चुनाव आयोग ने मध्य प्रदेश और मिजोरम में एक ही चरण में 28 नवंबर को वोटिंग कराने का ऐलान किया है। राजस्थाना और तेलंगाना में सात दिसंबर को वोटिंग होगी। मतगणना 11 दिसंबर को होगी और उसी दिन परिणाम आ जाएंगे। चुनावों की घोषणा के साथ ही सभी 5 राज्यों में आदर्श आचार संहिता लागू हो गई है।
राजस्थान में पिछले चुनाव में बीजेपी ने जीत दर्ज की थी। इस बार के चुनाव में कांग्रेस और बीजेपी में सीधी टक्कर है। पीएम मोदी ने राजस्थान में आज से चुनावी बिगुल भी फूंक दिया है। राज्य में विधानसभा की कुल 200 सीटें हैं। पिछले चुनाव में बीजेपी ने 160 सीटें जीती थीं। कांग्रेस को 25 और अन्य को 15 सीटें मिली थीं। राजस्थान में एक चरण में 7 दिसंबर को वोटिंग होगी और 11 दिसंबर को मतगणना होगी। मध्य प्रदेश में पिछले 15 बरसों से बीजेपी का लगातार शासन है। नवंबर 2005 में मुख्यमंत्री बने शिवराज सिंह चौहान का यह तीसरा कार्यकाल है। एमपी में इसबार बीजेपी को चुनौती मिलती दिख रही है। राज्य में विधानसभा की कुल 230 सीटें हैं। यहां भी एक ही चरण में 28 नवंबर को वोटिंग होगी और 11 दिसंबर को नतीजे आएंगे। नवंबर 2013 में छत्तीसगढ़ में पिछला चुनाव हुआ था। इस बार दो चरणों में चुनाव कराए जाएंगे। पहले चरण का मतदान 12 नवंबर को जबकि दूसरे चरण का मतदान 20 नवंबर को होगा। 11 दिसंबर को दूसरे राज्यों के साथ ही यहां के भी नतीजे घोषित किए जाएंगे। आपको बता दें कि यहां 27 जिलों में विधानसभा की कुल सीटें 90+1 सीटें हैं, जिसमें से 90 पर चुनाव होता है, वहीं एक एंग्लो-इंडियन मनोनीत होता है। इस समय राज्य में बीजेपी सत्ता में है और डॉ. रमन सिंह मुख्यमंत्री हैं। कांग्रेस मुख्य विपक्षी पार्टी की भूमिका में है। 2000 में अस्तित्व में आए छत्तीसगढ़ में शुरुआती तीन साल कांग्रेस की सरकार रही, जिसके मुख्यमंत्री अजीत जोगी थे। दिसंबर 2003 से यहां बीजेपी सत्ता में है और डॉ. रमन सिंह हर बार मुख्यमंत्री बने। शिवराज की तरह रमन भी तीसरी बार मुख्यमंत्री बने हैं, लेकिन टाइमिंग के मामले में वह सीनियर हैं। शिवराज जहां करीब 13 साल से सीएम हैं, वहीं रमन करीब 15 साल से। छत्तीसगढ़ के सियासी हालात भी कमोबेश राजस्थान और मध्य प्रदेश जैसे दिखाई दे रहे हैं। यहां बीजेपी के खिलाफ एंटी-इन्कम्बेंसी का अच्छा इस्तेमाल किया जा सकता है, लेकिन कांग्रेस के पास कोई समाधान नहीं दिख रहा। सूबे में पार्टी के सबसे बड़े नेता रहे अजीत जोगी अब अपनी नई पार्टी ‘छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस’ बना चुके हैं और मायावती ने कांग्रेस के बजाय जोगी के साथ गठबंधन किया है। गोंडवाना गणतंत्र पार्टी भी उलटफेर करा सकती है।
तेलंगाना का पिछला विधानसभा चुनाव आंध्र प्रदेश के विधानसभा और देश के लोकसभा चुनाव के साथ हुआ था। इससे कुछ महीने पहले ही आंध्र और तेलंगाना को अलग किया गया था और हैदराबाद इनकी संयुक्त राजधानी बनाई गई थी। यहां टीआरएस ने एकतरफा जीत दर्ज की थी और कांग्रेस बड़े अंतर से दूसरे नंबर पर रही। इस बार के चुनाव में इन दोनों पार्टियों के अलावा असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम और आंध्र की सत्ताधारी पार्टी तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) को देखना रोचक होगा। तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव ने सितंबर 2018 में विधानसभा भंग कर दी, जिससे यहां समय से 9 महीने पहले चुनाव होंगे। यहां टीआरएस के खिलाफ कांग्रेस-टीडीपी के गठबंधन की सुगबुगाहट है। नॉर्थ-ईस्ट का राज्य मिजोरम 1987 में अस्तित्व में आया था। यहां पहली बार 1989 में कांग्रेस की सरकार बनी थी, जो लगातार दो बार सत्ता में रही। फिर दो बार मिजो नेशनल फ्रंट (एमएनएफ) की सरकार रही। 2008 से कांग्रेस फिर यहां सत्ता में है। कांग्रेस के चार कार्यकाल में मुख्यमंत्री हर बार लाल थनहवला रहे हैं, जबकि एमएनएफ की दों सरकारों में मुख्यमंत्री ज़ोरामथंगा रहे। इन दोनों के अलावा मिजोरम में बीजेपी के प्रदर्शन पर भी निगाह रहेगी।