मुंबई। रुपये में रेकॉर्डतोड़ गिरावट रोकने की सरकार की पहली कोशिश फेल हो गई। पिछले हफ्ते केंद्र ने कई उपायों की घोषणा की थी, जिनका करंसी पर असर नहीं हुआ। निवेशक यह भी कह रहे हैं कि सरकार ने रुपये में गिरावटरोकने के जो उपाय किए हैं, वे काफी नहीं हैं। ट्रेड वॉर का भी भारतीय करंसी पर बुरा असर पड़ रहा है। रुपया सोमवार को डॉलर की तुलना में 72.51 पर रहा, जबकि इंट्राडे में यह 72.69 तक चला गया था। पिछले शुक्रवार को रुपया 71.86 पर बंद हुआ था। पिछले हफ्ते शुक्रवार को सरकार ने रुपये की गिरावट रोकने के लिए कई उपायों का ऐलान किया था। इनमें मसाला बॉन्ड्स पर विदहोल्डिंग टैक्स हटाना, विदेशी निवेशकों के लिए भारतीय बॉन्ड बाजार में निवेश में ढील, जो सामान बहुत जरूरी न हों; उनके आयात पर लगाम और करेंट अकाउंट डेफिसिट को बढ़ने से रोकने जैसे उपाय शामिल थे।
रुपये की कमजोरी पर सरकार ने सफाई भी दी। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि ट्रेड वॉर और कच्चे तेल के दाम में तेजी से रुपया कमजोर हुआ। उन्होंने बताया कि अमेरिका में जो आर्थिक फैसले लिए गए हैं, उनसे डॉलर मजबूत हो रहा है। इससे भी रुपये पर दबाव बढ़ा है। शेयर बाजार की हालत भी खराब हुई और आगे के लिए भी अच्छे संकेत नहीं हैं। अमेरिकी बैंक गोल्डमैन सैक्स ने भारतीय बाजार की रेटिंग घटा दी है। उसने कहा कि स्टॉक्स महंगे हैं और चुनाव भी करीब आ रहे हैं। इसलिए बाजार पर दबाव बना रहेगा। 29 अगस्त को सेंसेक्स नए लाइफ टाइम हाई लेवल पर पहुंचा था। उसके बाद बीएसई की कंपनियों के मार्केट वैल्यू 3.5 लाख करोड़ कम हुई है। सेंसेक्स सोमवार को 505.13 अंक यानी 1.3 पर्सेंट नीचे 37,585.51 और निफ्टी 1.2 पर्सेंट फिसलकर 11,400 पर बंद हुआ। वोलैटिलिटी इंडेक्स भी 4.7 पर्सेंट की उछाल के साथ 14.49 पर पहुंच गया। इस इंडेक्स से शॉर्ट टर्म में मार्केट रिस्क के बढ़ने का पता चलता है। 30 शेयरों वाले सेंसेक्स में सन फार्मा, एचडीएफसी, टाटा मोटर्स, रिलायंस और एशियन पेंट्स में 1.9-2.8 पर्सेंट की गिरावट आई। बीएसई एनर्जी, एफएमसीजी, फाइनैंस और हेल्थकेयर इंडेक्स भी 1 पर्सेंट से अधिक फिसले।
मोतीलाल ओसवाल फाइनैंशल सर्विसेज के जॉइंट एमडी रामदेव अग्रवाल ने कहा, ‘सरकार से रुपये को लेकर जो उम्मीद थी, वह पूरी नहीं हुई।’ पिछले शुक्रवार को केंद्र ने डॉलर की आवक बढ़ाने के लिए पांच सूत्रीय उपाय किए थे। इनमें मसाला बॉन्ड पर विदहोल्डिंग टैक्स खत्म करना और विदेशी निवेशकों के लिए भारतीय बॉन्ड बाजार में निवेश में ढील जैसे उपाय शामिल थे। अग्रवाल ने कहा कि अभी शेयर बाजार की दिशा का अंदाजा लगाना मुश्किल है। मार्केट में बहुत उतार-चढ़ाव हो रहा है। हालांकि, उन्होंने करेक्शन को बाजार की सेहत के लिए बढ़िया बताया। अगस्त के रेकॉर्ड हाई लेवल से बाजार अभी 3.2-3.6 पर्सेंट नीचे है। उन्होंने आगामी चुनाव को देखते हुए छोटे निवेशकों को सावधान रहने की सलाह दी है। कोटक महिंद्रा एसेट मैनेजमेंट कंपनी के एमडी नीलेश शाह ने भी निवेशकों को चेताया है। उन्होंने कहा कि भारतीय बाजार का परफॉर्मेंस दूसरे देशों से काफी अच्छा रहा है। इसलिए अगर बाजार की उम्मीदें पूरी नहीं होंगी तो शेयरों में गिरावट आएगी। गोल्डमैन सैक्स ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि भारतीय बाजार में उतार-चढ़ाव बना रहेगा क्योंकि चुनाव करीब हैं। विदेशी निवेशक भी हाल-फिलहाल यहां निवेश नहीं बढ़ाने वाले। उन्होंने सोमवार को 106.5 करोड़ की बिकवाली की।
डोमेस्टिक इंस्टिट्यूशनल इनवेस्टर्स ने भी 180.36 करोड़ के शेयर बेचे। भारतीय बाजार महंगा है। सेंसेक्स का वन इयर फॉरवर्ड पीई रेशो 18 है, जबकि एमएससीआई इमर्जिंग इंडेक्स में 11.1 के पीई पर ट्रेडिंग हो रही है। शाह ने कहा कि भारत की लॉन्ग टर्म ग्रोथ स्टोरी अच्छी दिख रही है, लेकिन चीन, तुर्की, रूस और इंडोनेशिया के बाजार काफी सस्ते हो गए हैं।
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