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मन्नान वानी का सैनिक स्कूल से हिजबुल मुजाहिद्दीन का सफर

श्रीनगर स्कूल में एक उत्कृष्ट छात्र से कश्मीर का मॉस्ट वांटेड आतंकवादी बना मन्नान बशीर वानी उन शिक्षित युवाओं में शामिल है, जो 2016 के बाद घाटी में आतंकवादी संगठनों में शामिल हुए। वानी को सुरक्षा बलों ने गुरुवार को एक मुठभेड़ में ढेर कर दिया। आतंकी वानी ने सैनिक स्कूल से पढ़ाई की थी। वहीं अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) के छात्र वानी के एनकाउंटर के बाद वहां स्टूडेंट्स ने नमाज-ए-जनाजा पढ़ने जा रहे थे, जिन्हें प्रॉक्टर टीम ने रोक दिया। अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में पीएचडी का छात्र वानी इस साल जनवरी में आतंकवादी संगठन में शामिल हुआ था। सुरक्षा एजेंसियों द्वारा जुटाई जानकारी के अनुसार वानी शुरू से एक प्रतिभाशाली छात्र था, उसने मानसबल स्थित एक प्रतिष्ठित सैनिक स्कूल से 11वीं और 12वीं की पढ़ाई की थी। वानी को पढ़ाई के दौरान कई पुरस्कार भी मिले। घाटी में वर्ष 2010 में हुए विरोध प्रदर्शनों और हिजबुल मुजाहिद्दीन के पोस्टर बॉय बुरहान वानी की मौत के बाद वर्ष 2016 में हुए व्यापक प्रदर्शन से उसका कोई नाता नहीं था। उसके आतंकी संगठन में शामिल होने की बात तब सामने आई, जब बाबा गुलाम शाह बदशाह विश्वविद्यालय के बी.टेक के छात्र ईसा फजली जैसे दूसरे युवकों के आतंकवादी समूह में शामिल होने का पता चला।

वानी के बाद, तहरीक-ए-हुर्रियत के अध्यक्ष मोहम्मद अशरफ सेहराई का बेटा एवं एमबीए का छात्र जुनैद अशरफ सहराई भी आतंकवादी समूह में शामिल होने के लिए गायब हो गया था। वानी का अपने पिता बशीर अहमद वानी से भी बहुत लगाव था, जो कि कॉलेज लेक्चरर हैं। संभ्रांत परिवार से आने वाला वानी वर्ष 2011 से अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) से पढ़ाई कर रहा था, जहां उसने एम. फिल की पढ़ाई पूरी करने के बाद भूविज्ञान से पीएचडी में प्रवेश लिया। आज भी कॉलेज की वेबसाइट पर उसे मिले पुरस्कारों के साथ नाम दर्ज है। वानी के आतंकवादी बनने का सफर वर्ष 2017 के अंत में शुरू हुआ, जब वह दक्षिण कश्मीर के कुछ छात्रों के संपर्क में आया। इस साल तीन जनवरी को उसने आतंकवादी संगठन का हिस्सा बनने के लिए अलीगढ़ छोड़ दिया था।

मन्नान वानी एएमयू में रिसर्च स्कॉलर था। पढ़ाई छोड़ कर दो जनवरी को चला गया। एएमयू के पूर्व छात्र संघ के अध्यक्ष का कहना है कि मन्नान होनहार छात्र था लेकिन उसने गलत रास्ता चुना, जिसका उसको परिणाम भुगतना पड़ा। उन्होंने कहा, ‘मन्नान चाहता तो शिक्षा पूरी कर देश, कौम, कश्मीर के साथ नौजवानों की बेहतर सेवा कर सकता था। एएमयू छात्रों के लिए पहले देश है, आतंकवाद बाद में है। आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता। एएमयू मन्नान वानी को पूर्व में ही एएमयू से निष्कासित कर दिया गया था, उसका एएमयू से कोई वास्ता नहीं है।’ उधर, एएमयू में पढ़ रहे कश्मीर के छात्रों ने मन्नान वानी के मारे जाने के बाद एकत्रित हो कर नमाज-ए-जनाजा पढ़ने जा रहे थे, तो प्रॉक्टर टीम ने रोक दिया। इसके बाद छात्रों ने मीडिया से बदसलूकी कर मोबाइल छीन लिए, इसी दौरान प्रॉक्टर टीम से भी नोकझोंक हुई। वहीं एएमयू प्रशासन ने मन्नान बानी को एएमयू से पूर्व में ही निष्कासित करने की बात कह कर पल्ला झाड़ लिया है।

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