फाइनैंशल मार्केट में जो खलबली मची हुई है, वह जल्द ही इकॉनमी पर असर डाल सकती है। इस संकट की शुरुआत नॉन-बैंकिंग फाइनैंस कंपनीज (एनबीएफसी) के पास कैश की कमी से हुई थी। इसकी वजह से कंजम्पशन और इनवेस्टमेंट के लिए फंड की कमी हो सकती है, जिससे अर्थव्यवस्था प्रभावित होगी।
अगर बैंक एनबीएफसी की फंडिंग रोके रखते हैं और म्यूचुअल फंड्स से उन्हें पैसा मिलना बंद हो जाता है तो दिसंबर तिमाही में जीडीपी ग्रोथ में कुछ कमी आ सकती है। एनबीएफसी लाखों की संख्या में मीडियम और स्मॉल एंटरप्राइजेज को कर्ज देती हैं, जो भारतीय अर्थव्यवस्था और रोजगार की बुनियाद हैं।
पिछले महीने से मनी मार्केट में दरों में बढ़ोतरी की शुरुआत हुई थी। उसके बाद से कोई ऑफिशल डेटा तो नहीं आए हैं, लेकिन इकॉनमी पर इसके असर के संकेत दिखने लगे हैं। पिछले कुछ हफ्तों में मोटरसाइकल, ट्रैक्टर, प्लाईवुड और सीमेंट की बिक्री घटी है क्योंकि लोग खरीदारी के फैसले टाल रहे हैं।