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दो युवाओं की पहल पर फुटबॉल से सुनहरे कल की इबारत लिख रहे घाटी के युवा

श्रीनगर। आतंकवाद, तनाव और हिंसा की खबरों के बीच कश्मीर घाटी की एक अनोखी तस्वीर आज आम लोगों के बीच एक मिसाल बनकर उभरने लगी है। कभी तनाव के लिए खबरों में रहने वाली कश्मीर घाटी आज अपने खिलाड़ियों के कौशल और इन्हें बढ़ावा देने की कोशिश शुरू करने वाले लोगों के कारण चर्चा का विषय बनी है। कश्मीर की इस खबर की वजह दो युवाओं के द्वारा शुरू की गई वह फुटबॉल अकैडमी है, जिससे घाटी के 3000 से अधिक युवा अब अपने नए भविष्य का रास्ता तय करने में जुटे हुए हैं। कश्मीर की इस खास फुटबॉल अकैडमी की शुरुआत यहां के निवासी दो स्थानीय युवाओं द्वारा की गई है। घाटी के रहने वाले संदीप चट्ठू और शमीम मिराज ने साल 2016 में इस खास अकैडमी की शुरुआत की थी, जिसमें आज करीब 3 हजार से अधिक युवा फुटबॉल की प्रैक्टिस के लिए आते हैं। इस अकैडमी की शुरुआत करने वाले शमीम खान पूर्व में दिल्ली के प्रसिद्ध सेंट स्टीफंस कॉलेज के विद्यार्थी रहे हैं। वहीं संदीप श्रीनगर में एक होटेल चलाते हैं। दोनों का कहना है कि कश्मीर घाटी में हुई इस शुरुआत से यहां के युवाओं की ऊर्जा को सकारात्मक दिशा में ले जाने का प्रयास किया जा रहा है।

शमीम मिराज कहते हैं, ‘मैं एक कश्मीरी मुस्लिम हूं और मेरे साथी संदीप एक कश्मीरी पंडित हैं। इसके अलावा अकैडमी में फुटबॉल सीखने वाले सैकडों छात्रों में हिंदू, मुस्लिम, बौद्ध समेत तमाम धर्मों और बोलियों के छात्र शामिल हैं। ऐसे में यह साबित हो ही जाता है कि फुटबॉल ने कैसे कश्मीर घाटी में लोगों के बीच एकता लाकर सियासत के बनाए भेदभाव को तोड़ा है। शमीम मानते हैं कि फुटबॉल और अन्य खेलों को बढ़ावा देकर कश्मीर घाटी के युवाओं का भविष्य और बेहतर बनाया जा सकता है और फुटबॉल अकैडमी में इसी की कोशिश की जा रही है। वहीं संदीप का कहना है कि तमाम कोशिशों के बावजूद फुटबॉल की प्रैक्टिस के लिए तमाम मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। उन्होंने बताया कि टीम के सदस्य श्रीनगर के जिस ग्राउंड में टीम प्रैक्टिस कर रही है, उसमें अभी टॉइलट तक नहीं है। वहीं खिलाड़ियों की मेहनत से अकैडमी की टीम ने इंटरनैशनल फुटबॉल लीग में जाने के लिए क्वालिफाई किया है, लेकिन अब तक टीम को कोई भी स्पॉन्सर नहीं मिल सका है। संदीप कहते हैं कि इन तमाम दुश्वारियों के बाद भी खिलाड़ी अपने सपनों को पूरा करने के लिए पूरी शिद्दत से मेहनत कर रहे हैं और कोशिश है कि आने वाले वक्त में इसी तरह कश्मीर के युवाओं को खेल से जोड़कर और आगे बढ़ाया जाए।

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