ह्यूसटन। भारत में खतरनाक स्तर से बढ़ रहा वायु प्रदूषण अब लोगों के जान के लिए खतरा बन गया है। एक शोध के मुताबिक वायु प्रदूषण के चलते भारतीयों की आयु तय सीमा से लगभग डेढ़ साल तक कम हो रही है। शोधकर्ता वैज्ञानिकों ने कहा है कि दुनियाभर में मानव जाति की आयु सीमा बढ़ाने के लिए प्रदूषण निवारण पर खास ध्यान देना होगा। अमेरिका स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्सास की इस रिपोर्ट से जो बातें सामने आई हैं वो चौंकाने वाली है। शोधकर्ताओं ने कहा है कि वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन के द्वारा एयर क्वालिटी गाइडलाइन का लगातार उल्लंघन हो रहा है। इसका परिणाम ये हो रहा है कि भारत, पाकिस्तान, बांग्लदेश और चीन में प्रदूषण के कारण 0.8 से लेकर 1.4 साल तक लोगों की आयु सीमा कम हो रही है।
ऐसा पहली बार है जब एयर क्वालिटी का मानव जाति के आयु सीमा पर पड़ने वाले प्रभाव को लेकर रिपोर्ट जारी की गई है। यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्सास के शोधकर्ताओं ने पाया कि पीएम (पर्टिकुलर मैटर) की मात्रा वातावरण में सामान्य से ज्यादा हो चुकी है। जिसका खतरा सीधे तौर पर फेफड़ों पर पड़ रहा है। यह सांस लेने में समस्या पैदा करता है इसके साथ ही दिल के दौरे और कैंसर की बीमारी का खतरा भी बढ़ रहा है। पीएम (पर्टिकुलर मैटर) 2.5 का प्रदूषण पावर प्लांट, कार, ट्रक, आगजनी की घटना, कृषि और औद्योगिक कारखानों से होती है। शोध में पाया गया कि आयु सीमा पर पड़ रहा प्रभाव सबसे ज्यादा प्रदूषित देश बांग्लादेश, मिस्र, पाकिस्तान, सऊदी अरब, नाइजीरिया और चीन में देखा जा रहा है। शोध के मुताबिक भारत में आयु सीमा पर पड़ने वाला प्रभाव 1.53 साल है। शोध कार्य को लीड कर रहे जोशुआ आप्टे ने कहा कि पार्टिकल एयर पॉल्यूशन आज दुनिया में सबसे बड़ा किलर है। आप्टे ने कहा कि शोध में हमने पाया कि एयर पॉल्यूशन का मानव जाति की आयु सीमा पर बड़ा प्रभाव पड़ता है। अमेरिका में 90,000 और भारत में 1.1 मिलियन लोगों की मौत हर साल एयर पॉल्यूशन से होती है।