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‘जब कहा ऐक्टर बनना है तो दादी ने थप्पड़ मारा था’

मुम्बई आयुष्मान खुराना ने कभी रेडियो जॉकी और वीजे के तौर पर अपना करियर शुरू किया था, लेकिन अब वह बॉलिवुड का जानामाना नाम हैं। आयुष्मान खुराना की आने वाली फिल्म ‘बधाई हो’ इन दिनों चर्चा में है। इससे पहले उनकी अधिकतर सभी फिल्में चर्चा में रही हैं। इसकी वजह वे विषय भी हो सकते हैं जो वह चुनते हैं। आयुष्मान बताते हैं कि जब उन्होंने दादी से कहा था कि उन्हें ऐक्टर बनना है तो दादी ने थप्पड़ मार दिया था। इसकी वजह यह थी कि उस वक्त ऐक्टिंग अच्छा प्रफेशन नहीं माना जाता था। न ही वह ऐसा करियर था जिसमें स्थिरता हो। वह कहते हैं, ‘मैं पढ़ाई में अच्छा था, मैंने केमिस्ट्री और बायॉलजी की पढ़ाई की, 11वीं क्लास तक मेरा मकसद मेडिकल फील्ड में जाना था। मैंने कर्नाटक के डेंटल कॉलेज में ऐडमिशन ले लिया था लेकिन इससे पहले मैंने आर्किटेक्ट या वकील बनने का सपना भी देखा। पर कहीं मन में ऐसा ख्याल था कि मुझे ऐक्टर बनना है। जब एक दिन मैंने डैड को यह बात कही तो उन्होंने कहा कि हाईस्कूल से सीधे वहां नहीं जा सकते। लेकिन मैं अच्छी पढ़ाई करता रहा तो वह मुझे ऐक्टिंग की फील्ड में जाने देंगे।’

आयुष्मान बताते हैं कि कैसे वह कॉलेज के ऑलराउंडर बन गए। वह कहते हैं, ‘हम ट्रोफी लेकर लौटे और प्रिसिंपल ने खुश होकर हमें 2,000 रुपये दिए। मैंने मां को अपनी पहली सैलरी दी और उन्होंने मुझे लौटा दी। सब खुश थे, फाइनल इयर में मुझे ऑलराउंडर स्टूडेंट का खिताब मिला। तब मैंने पंजाब यूनिवर्सिटी में ही मास कम्युनिकेशन और प्रिंट जर्नलिजम के कोर्स में ऐडमिशन ले लिया क्योंकि डैड चाहते थे कि अगर ऐक्टर न बन सकूं तो भी मेरी एजुकेशन बढ़िया रहे। मैं जानता था कि ऐसा करके मैं शाहरुख खान के कदमों पर चलने की कोशिश कर रहा था क्योंकि उन्होंने भी ऐक्टिंग को करियर बनाने से पहले मास कम्युनिकेशन की पढ़ाई की थी। वह मेरे आइडल हैं और खूब पढ़े-लिखे ऐक्टर भी हैं।’ हालांकि इसके बाद भी करियर बनाना इतना आसान नहीं रहा। आयुष्मान कहते हैं, ‘मैंने थिअटर कॉलेज में शुरू किया लेकिन शर्त यह थी कि कॉलेज में मेरी अटेंडेंस पूरी 100 फीसदी होनी चाहिए और इस तरह मैं टॉपर्स में रहा। मैंने लोकल थिअटर फेस्टिवल में जाना शुरू कर दिया और अपना ग्रुप भी बना लिया। उसका नाम रखा मंचतंत्र। बाद में आगाज थिअटर ग्रुप डीएवी कॉलेज चंडीगढ़ का फाउंडर मेंबर भी रहा। हम कुछ स्टूडेंट्स ने मिलकर पूरे देश में घूमना शुरू किया, हम आईआईटी पवई और बिट्स पिलानी के कॉलेज फेस्ट तक गए। कुछ और थिअटर ग्रुप से संपर्क हुआ तो पता चला हम कितने खराब थे। बिट्स में हम ऑल बॉयस ऐनुअल फेस्ट ओयसिस भी शामिल हुए। वहां मैंने देखा कि लड़कियां और लड़के साथ रहते हैं, स्मोकिंग करते हैं और स्टेज पर बढ़िया परफॉर्म भी करते हैं। यह कल्चर शॉक था। हम सफेद शर्ट और काली पेंट पहनकर वेटर लग रहे थे और हमें हूटिंग करके स्टेज से हटाया गया। चंडीगढ़ लौटकर हमने अपने प्ले सुधारे अगले साल पवई में पहला नॉन मेट्रो सिटी वाला कॉलेज अवॉर्ड जीता। यह मेरे लिए टर्निंग पॉइंट था। मुझे अब तक वह साल 2002 याद है।’

मुंबई तक का सफर कैसे तय किया? इसके जवाब में वह कहते हैं, मुंबई आने से पहले मैंने टीवी शो और फिल्म के लिए ऑडिशन दिए। मैंने रेडियो किया। अहमदाबाद से मैंने रेडियो जॉकी की ट्रेनिंग ली। 22 साल की उम्र में दिल्ली आ गया और पहली नौकरी की। रेडियो का मॉर्निंग शो। तब मैं सबसे छोटा आरजे था। फिर एमटीवी पर वीजे बनने का मौका मिल गया। फिर इंडियाज गॉट टैलंट टीवी शो होस्ट करने का मौका मिल गया। फिर कई शो होस्ट किए। आयुष्मान कहते हैं, ‘विकी डोनर फिल्म ने मेरी जिंदगी बदल दी। 2012 में मुझे इस फिल्म ने फिल्मों का ऐक्टर साबित कर दिया। इसके बाद मैंने पीछे मुड़कर नहीं देखा।’ बता दें कि आयुष्मान खुराना ‘बरेली की बर्फी’ और ‘शुभ मंगल सावधान’ जैसी फिल्में कर चुके हैं और जल्द ही फिल्म ‘बधाई हो’ में दिखेंगे।

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