नई दिल्ली। निवेशकों को अपनी फाइनेंशियल रिस्क उठाने की क्षमता और वित्तीय लक्ष्यों के अनुसार एक संतुलित पोर्टफोलियो बनाना चाहिए, जो कि ब्याज दरों के उतार चढ़ाव से व अन्य वित्तीय अनिश्चितताओं के दौर में सुरक्षा पूर्वक वित्तीय संचय प्रभावी ढंग से करता रहे। एक संतुलित पोर्टफोलियो वह है जिसमें विभिन्न एसेट क्लास में इक्विटी, डेट, गोल्ड और रियल एस्टेट शामिल होते हैं। एक इंवेस्टमेंट पोर्टफोलियो में इन एसेट्स का अनुपात बाजार की स्थितियों के अनुसार समय-समय पर बदलते रहना चाहिए।
गिरती हुई ब्याज दर के परिदृश्य में ऐसे एसेट वर्ग जो ब्याज दरों में कमी से नकारात्मक रूप से प्रभावित होते हैं उनसे से बचना चाहिए। गिरती ब्याज दरों के परिदृश्य में निम्नलिखित एसेस्टस को अपने पोर्टफोलियों में सम्मलित करना चाहिए। यदि निवेशक लंबे समय के लिए इक्विटी में निवेश करते है तो वह बेहतर रिटर्न प्राप्त कर सकते है, इक्विटी निवेश ऐतिहासिक रुप से और निवेशों की अपेक्षा ज्यादा रिटर्न प्रदान करने वाला रहा है। परंतु यह भी सच है कि इक्विटी निवेश में रिस्क अधिक होता है। कई बार इक्विटी निवेश के रिटर्न काफी अस्थिर रहते हैं जिसके कारण नुकसान की संभावना बढ़ जाती है। 2019 एक चुनावी वर्ष है जिसके कारण शुरुआत के 6 महीने शेयर बाजार के लिए काफी अस्थिर होने की संभावना है, इसलिए यदि आप अधिक रिस्क उठा सकते है तभी आपको 2019 में इक्विटी निवेश का विकल्प चुनना चाहिए।
गिरती ब्याज दरों के वातावरण में शेयर बाजार के लिए लाभकारी होता है, क्योंकि कम ब्याज के कारण कंपनियों के उधार की लागत कम हो जाती है जिससे उनके मुनाफे में बढ़ोतरी होती है। इसलिए इक्विटी निवेशकों को 2019 में बेहतर रिटर्न के लिए स्थिर कैश फ्लो और सॉलिड बिजनेस मॉडल वाली लार्ज कैप कंपनियों की तलाश और उनमें निवेश करना चाहिए।
बाजारों में अस्थिरता व घटती ब्याज दर के वातावरण में चुनिंदा डेट फंड जैसे- सरकारी बांड, कॉरपोरेट बांड, शॉर्ट टर्म मनी मार्केट इंस्ट्रूमेंट्स, डेट म्यूचुअल फंड आदि में निवेश करना चाहिए। 2018 में एक उच्च ब्याज व्यवस्था के बाद वर्ष 2019 में ब्याज दरों के बढ़ने की सम्भावनाएं काफी कम है अपितु, आरबीआई द्वारा एक या एक से अधिक बार ब्याज दरों में कटौती की संभावना बनती हुई नजर आ रही है। ब्याज दर में कमी से बांड धारकों को लाभ होगा क्योंकि उनके बांड की कीमतें घटती ब्याज के साथ बढ़ेंगी। कोई व्यक्ति सीधे तौर पर बॉन्ड खरीदकर या डेट फंड के जरिए डेट इंस्ट्रूमेंट में निवेश कर सकता है, निवेशकों को केवल टॉप रेटेड डेट इंस्ट्रूमेंट में निवेश करना चाहिए और यह निवेश शॉर्ट-टर्म और लांग टर्म दोनों तरह के बांड में उचित अनुपात में आवंटित होना चाहिए। डेट इंस्ट्रूमेंट्स में भी कुछ रिस्क होता हैं परंतु ये रिस्क इक्विटी निवेश की अपेक्षा में काफी कम होता है।
जैसे ही ब्याज दरों में कटौती हो तभी फिक्स्ड डिपॉजिट (एफडी) पर मिलने वाला ब्याज भी कम हो जाता है। इसलिए आमतौर पर एफडी में गिरती ब्याज दरों के वातावरण में निवेश करना उचित नहीं होता है। लेकिन एफडी उन निवेशकों के लिए सबसे सुरक्षित निवेश विकल्प है जिनका रिस्क टोलरेंस कम होती है। अतः ऐसे निवेशक जो एफडी में निवेश करना चाहते हैं, उन्हें अपनी निवेश रणनीति में कुछ बदलाव करना चाहिए। निवेशकों को एफडी की पहली दर में कटौती से पहले लंबी अवधि के लिए एफडी की अधिक ब्याज दरों को लॉक करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। साथ ही उपभोक्ताओं विभिन्न वित्तीय संस्थानों के बीच एफडी दरों की तुलना करनी चाहिए और उन संस्थानों का विकल्प चुनना चाहिए जो अन्य वित्तीय संस्थानों की तुलना में अधिक ब्याज दरों पर एफडी में निवेश करने के विकल्प उपल्बध करवा रहे हैं।
निवेशकों को अपने पोर्टफोलियो में डाईवर्सिफिकेशन के उद्देश्य के लिए गोल्ड जरुर सम्मलित करना चाहिए। गोल्ड बाजार में अस्थिरता और अन्य एसेट में मंदी के दौर में एक बचाव के रूप में कार्य करता है। चूंकि 2019 में वित्तीय बाजारों के लिए एक अस्थिर वर्ष होने की उम्मीद है, इसलिए गोल्ड में निवेश करना उचित है। गोल्ड में निवेश या तो फिजिकल सोना खरीदने से या गोल्ड म्यूचुअल फंड, गोल्ड डिपॉजिट स्कीम के जरिए या फिर गोल्ड ईटीएफ के जरिए किया जा सकता है। चूंकि फिजिकल गोल्ड खरीदने में लागत वहन होती है और इसे स्टोर करने में भी रिस्क होता है, इसलिए डीमेट फॉर्म में एक्सचेंजों के माध्यम से गोल्ड खरीदना उचित होता है।
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