नई दिल्ली,26 सितंबर। चीन ने क्वाड की तीखी आलोचना की है, तो क्वाड देशों अमेरिका, भारत, जापान और ऑस्ट्रेलिया ने आपसी एकजुटता का प्रदर्शन किया है। ड्रैगन की तिलमिलाहट के कई प्रमुख कारण हैं। बैठक के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन, प्रधानमंत्री मोदी, ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन और जापानी प्रधानमंत्री योशिहिदे सुगा की ओर से संयुक्त बयान जारी किया गया। इसमें एकसुर में हिंद-प्रशांत क्षेत्र में नियम सम्मत कानून, पोतों और विमानों की अबाध आवाजाही, विवादों के शांतिपूर्ण समाधान और क्षेत्रीय अखंडता का समर्थन किया गया है। इसे चीन के लिए कड़े संदेश के रूप में देखा जा रहा है, क्योंकि चीन दक्षिण चीन सागर के ज्यादातर हिस्से पर अपना हक जताता है। क्वाड देशों के बीच सेमीकंडक्टर आपूर्ति शृंखला की सुरक्षा, अवैध फिशिंग की रोकथाम, जलवायु संकट से निपटने और 5-जी के विकास में भागीदारी समेत कई नए समझौते हुए हैं। इन समझौतों से कारोबार के क्षेत्र में चीन को अधिक प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ सकता है। क्वाड नेताओं ने छोटे-छोटे द्वीपीय देशों के आर्थिक विकास पर भी सहमति जताई है। खासकर प्रशांत क्षेत्र के द्वीपों के हित पर चारों देश एकजुट हैं। गौरतलब है कि चीन का कई द्वीपीय देशों के साथ विवाद है।जापान के प्रधानमंत्री सुगा ने कहा कि सदस्य देशों के बीच स्वच्छ ऊर्जा और अंतरिक्ष में सहयोग पर सहमति बनी है। समुद्र में निगरानी व्यवस्था को और चाकचौबंद करने पर भी सहमति बनी है। संयुक्त बयान में चीन के सहयोगी देश उत्तर कोरिया को भी रिझाने की कोशिश की गई है। इसमें उत्तर कोरिया से अपील की गई है कि उसे अपने परमाणु हथियारों और मिसाइल कार्यक्रम के संदर्भ में कूटनीतिक बातचीत का रास्ता अपनाना चाहिए। हालांकि उत्तर कोरिया ने इसके पहले तब तक कोई कूटनीतिक बातचीत करने से इनकार कर दिया था, जब तक कि उस पर से अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध नहीं हटाया जाता। क्वाड की विशेषता है की ये दुनिया का सबसे बड़ा सैन्य संगठन, 70 लाख है क्वाड देशों के सैनिकों की संख्या, 30 लाख के करीब हैं चीन के पास सैनिक, क्वाड की आर्थिक ताकत चीन की दोगुनी, 30 ट्रिलियन डॉलर है क्वाड देशों की सम्मिलित अर्थव्यवस्था, 16 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था है चीनी, क्वाड देश लोकतांत्रिक, चीन कम्युनिस्ट, क्वाड के सभी 4 देशों में संसदीय प्रणाली, 14 देशों से सीमा साझा करने वाले चीन के राष्ट्रपति आजीवन राष्ट्रपति रहेंगे। अमेरिका में 14 साल बाद क्वाड देशों के प्रमुखों की पहली आमने-सामने की बैठक हुई। चीन क्वाड को शीत युद्ध के तानेबाने के रूप में देखता है। यही वजह है कि चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान ने क्वाड देशों की बैठक से पहले ही अपने बयान में कहा कि क्वाड का मकसद किसी तीसरे देश को टारगेट करने का नहीं होना चाहिए। क्वाड के मजबूत होने से चिढ़े चीन ने यहां तक कहा कि- क्वाड को समर्थन नहीं मिलने वाला है, यह असफल होने के लिए अभिशप्त है।
