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चारों दिशाओं में मौजूद हनुमान बेड़ी में जकड़े हुए क्यों हैं?

पुरी जगन्नाथ का मंदिर। हिंदू धर्म के चार धामों में से एक। जगन्नाथ मंदिर से जुड़े ऐसे कई तथ्य हैं जो रहस्यों से भरे हैं। इस मंदिर के बारे में यह भी एक मान्यता है कि भगवान जगन्नाथ की रक्षा के लिए यहां भगवान हनुमान चारों दिशाओं में विराजमान है। ऐसा बताया जाता है कि भगवान जगन्नाथ के मंदिर को 3 बार समुद्र ने नुकसान पहुंचाया था। लिहाजा भगवान जगन्नाथ ने हनुमान जी को रक्षा करने के लिए नियुक्त किया और आदेश दिया कि समंदर का पानी मंदिर तक नहीं पहुंचने पाए और उन्हें वहीं रहकर मंदिर की रक्षा करने का आदेश दिया। गौर हो कि भगवान जगन्नाथ के दर्शन के लिए मंदिर में चार दिशाओं में स्थिति चार दरवाजों के जरिए आप प्रवेश कर सकते हैं। उत्तर, पूर्व, दक्षिण और पश्चिम में चार द्वार है जिसके जरिए श्रद्धालु महाप्रभु के दर्शन के लिए प्रवेश करते है। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक भगवान जगन्नाथ ने अपनी रक्षा के लिए हनुमान जी को नियुक्त किया है और यहां भगवान हनुमान प्रहरी की भूमिका निभाते चले आ रहे हैं। इसके बाद से चारों दिशाओं में यहां भगवान हनुमान जी विराजमान है जो उत्तर, पूर्व, दक्षिण और उत्तर दिशाओं में स्थित है और अपने प्रभु जगन्नाथ की रक्षा करते हैं।
पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक हनुमान जी कई बार जगन्नाथ-बलभद्र एवं सुभद्रा के दर्शन के बिना नहीं रह पाते तो वह प्रभु के दर्शन के लिए नगर में प्रवेश कर जाते। उसके बाद समुद्र भी उनके पीछे आ जाता था। भगवान जगन्नाथ हनुमान जी की इस आदत से परेशान हो गए और उन्होंने हनुमानजी को यहां स्वर्ण बेड़ी से आबद्ध कर दिया। तभी से ऐसी मान्यता चली आ रही है कि भगवान हनुमान जी यहां स्वर्ण जंजीरों यानी बेड़ी में जकड़े हैं और भगवान जगन्नाथ की यहां रहकर रक्षा करते हैं। बेड़ी हनुमान मंदिर जगन्नाथ मंदिर के पश्चिम दिशा में स्थित है। यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु हनुमानजी के दर्शन करने के लिए आते हैं। यह जंजीर से बंधा एक हनुमान मंदिर है। कहते हैं यहां भगवान हनुमान मंदिर के हर दिशा में विराजमान है। पूर्व, पश्चिम ,उत्तर और दक्षिण हर दिशा में। यहां समुद्र तट के निकट स्थित एक छोटा सा मंदिर है जो पुरी के चक्र नारायण मंदिर की पश्चिम दिशा की तरफ बना हुआ है। इसे दरिया महावीर मंदिर भी कहा जाता है। श्री जगन्नाथ मंदिर के उत्तरी भाग में भी हनुमान भगवान जगन्नाथ के रक्षक के रूप में विराजमान है। भगवान हनुमान के इस स्वरूप को चारी चक्र और अष्ठ भुजा हनुमान कहते हैं जो प्रभु जगन्नाथ की रक्षा करते आ रहे हैं। चारी चक्र का अर्थ यह हुआ कि हनुमान सुरक्षा की खातिर चार चक्र को धारण करते हैं। इसी प्रकार बाकी दो दिशाओं में भी भगवान हनुमान का यहां प्राचीन मंदिर है जो महाप्रभु जगन्नाथ के रक्षक के रुप में विराजमान है। जो श्रद्धालु पुरी दर्शन के लिए जाते हैं वह दरिया महावीर मंदिर , बेड़ी हनुमान मंदिर का दर्शन भी जरूर करते हैं।

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