नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वच्छता अभियान को दुनिया का सबसे बड़ा अभियान बताते हुए राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की स्वच्छता के प्रति आग्रह के पीछे के कारणों को गिनाया। उन्होंने कहा कि बापू के स्वच्छता मिशन के पीछे उनकी व्यापक सोच थी। उनकी स्वच्छता का मकसद केवल गंदगी नहीं बल्कि मानसिक गंदगी को भी साफ करना था, उन्होंने इसे एक जन आंदोलन में बदल दिया था। पीएम ने कहा कि महात्मा के स्वच्छता मंत्र ने देश को एक नई दिशा दी। राष्ट्रपति भवन में महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय स्वच्छता सम्मेलन का समापन समारोह के अवसर पर पीएम मोदी ने कहा कि 1945 में बापू ने अपने विचारों के जरिए बताया था कि ग्रामीण स्वच्छता कितना जरूरी है। पीएम ने कहा, ‘आखिर गांधी स्वच्छता पर इतना जोर क्यों देते थे। क्या सिर्फ इसलिए की गंदगी से बीमारियां होती हैं, लेकिन मेरी (मोदी) आत्मा कहती है ना, इतना सीमित उद्देशय नहीं था। उनका व्यापक उद्देश्य था। बापू ने स्वच्छता को जन आंदोलन में बदला तो उसके पीछे एक मनोभाव था। जब हम भारतीयों में यह चेतना जागी तो फिर इसका स्वतंत्रता आंदोलन पर असर हुआ और देश को आजादी मिली।’ इस अवसर पर 124 देशों के कलाकारों द्वारा गाए गए बापू के प्रिय भजन ‘वैष्णो जन तो’ भी जारी किया गया।
पीएम ने कहा कि उन्हें गर्व है कि बापू के दिखाए मार्ग पर चलते हुए 125 करोड़ भारतीयों ने स्वच्छता अभियान को दुनिया का सबसे बड़ा जन आंदोलन बना दिया। उन्होंने कहा, ‘अगर देश के लोग बापू के विचारों से परिचित नहीं हुए होते, उनकी कही बातों को दुनिया के सामने तोला ना होता, समझा न होता तो शायद किसी सरकार के लिए यह कार्यक्रम प्राथमिकता नहीं बन पाता।’ पीएम ने देश में स्वच्छता के दायरे पर कहा कि 2014 से पहले ग्रामीण स्वच्छता का दायरा महज 38 फीसदी था जो चार बाद बढ़कर 94 फीसदी हो गया है। महज चार साल में इसमें जोरदार बढ़ोतरी हुई है। यह आम लोगों के इस अभियान से जुड़ने के कारण ही संभव हो पाया है। पीएम ने कहा कि देश के 5 लाख गांव खुले में शौच से मुक्त हो गए हैं। 25 राज्य खुद को खुले में शौच से मुक्त घोषित कर चुके हैं। पीएम ने कहा, ‘पहले खुले में शौच करने वाली दुनियाभर की आबादी का 60 फीसदी हिस्सा भारत में था। आज यह घटकर 20 फीसदी तक पहुंच चुका है।’ पीएम ने कहा कि चार वर्षों में सिर्फ शौचालय बने ही नहीं बल्कि 90 फीसदी का नियमित उपयोग भी हो रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार इस बात पर भी ध्यान दे रही है कि लोगों का मिजाज न बदल जाए और वे फिर से पुरानी आदत की तरफ न मुड़ जाए।
महर्षि पतंजलि के अष्टांग को याद करते हुए पीएम ने कहा कि समृद्ध जीवन के लिए पतंजलि ने पांच नियम बताए हैं। व्यक्तिगत सफाई, संतोष, तपस्या, स्वअध्ययन, ईश्वर चेतना। इन सब में पतंजलि ने भी स्वच्छता को सबसे ऊपर रखा था। स्वच्छता के बाद ही ईश्वर की पूजा जरूरी होती है। मोदी ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र से जुड़े संगठन ने भी स्वच्छता मिशन का अध्ययन कर हमारी तारीफ की है। पीएम मोदी ने स्वच्छता के लिए चार मंत्र फोर ‘पी’ दिया। उन्होंने कहा कि चार दिवसीय इस समारोह में स्वच्छता के चार ‘पी’ यानी पब्लिक फंडिंग, पॉलिटकल लीडरशिप, पार्टनरशिप और पीपल्स पार्टिसिपेशन को मान्यता दी गई है। स्वच्छता में इन चार मंत्रों अहम हैं। उन्होंने काह, ‘अभी हमारा काम बाकी है। बापू के 150वीं जयंती पर हमें उन्हें एक बड़ी कार्यांजलि देनी है। भारत के लोग इस सपने को पूरा करके रहेंगे।