टोरंटो,21 सितंबर। कैनेडियन मतदाता देश की 44वीं संसद का चुनाव करने के लिए मतदान कर रहे हैं। कैनेडा के लिबरल प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के लिए बहुत कुछ दांव पर है। पिछले कुछ समय में विभिन्न कारणों के चलते उनकी लोकप्रियता में भारी गिरावट आई है। उन्हें कंजर्वेटिव नेता एरिन ओ’टोल ने बड़ी मुसीबत में डाल रखा है। चुनाव पूर्व तमाम सर्वे में एरिन ओ’टोल और जस्टिन ट्रूडो के बीच कांटे की टक्कर दिखायी गयी है। हर सर्वे में कमोबेश जस्टिन ट्रूडो की पार्टी को अपने प्रतिद्वंद्वी के मुकाबले पिछड़ता दिखाया गया है। लिहाजा ऐसी संभावना है कि इस बार कैनेडा में दक्षिणपंथी पार्टी सत्ता में आ सकती है।
कैनेडियन सरकार के आंकड़ों के अनुसार, इस साल के आम चुनाव में 2 करोड़ 70 लाख से ज्यादा लोग चुनाव में हिस्सा ले रहे हैं। जिनमें करीब 57 लाख लोग पहले ही मतपत्र से वोट डाल चुके हैं। चुनाव पूर्व सर्वेक्षण के अनुसार, न तो लिबरल्स और न ही दक्षिणपंथी पार्टियों के पास बहुमत के लिए आवश्यक 38% जनता का समर्थन हासिल होने की संभावना है। प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने पूर्ण बहुमत हासिल करने के लिए देश में समय पूर्व चुनाव कराने का ऐलान कर दिया था, लेकिन चुनावी सर्वेक्षणों में पाया गया है कि कोविड-19 संकट के दौरान इससे निपटने में सरकार की अक्षमता और अफगानिस्तान मुद्दे को लेकर ट्रूडो सरकार के प्रति लोगों की नाराजगी है।
प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने अपनी ‘वामपंथी-केंद्र’ सरकार को पूर्ण बहुमत दिलाने के लिए 2 साल पहले ही चुनाव कराने का ऐलान कर दिया, लेकिन माना जा रहा है कि इस बार 2019 में हुए चुनाव से भी कम सीटें जस्टिन ट्रूडो की पार्टी को मिल सकती हैं।
फिलहाल देश की जनता ने अपना वोट डालना प्रारंभ कर दिया है। अब यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा कि सत्ता का सेहरा किसके सिर सजना है। जनता फिर से जस्टिन ट्रूडो के नेतृत्व पर विश्वास जताती है अथवा अन्य नेताओं पर।
