वाशिंगटन। सोमवार को अमेरिका के जेम्स पी एलिसन और जापान के तासुकू होन्जो को चिकित्सा के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार के लिए चुना गया। इनका रीसर्च जानलेवा बीमारी कैंसर के इलाज में मील का पत्थर साबित हो सकता है। इनके अनुसार हमारे शरीर का इम्यून सिस्टम ही कैंसर से लड़ सकता है। इससे कैंसर के इलाज के लिए नए दरवाजे खुल गए हैं। अब तक कैंसर का इलाज सर्जरी, रेडिएशन और कीमोथेरपी तक सीमित था। अब इसे इलाज का चौथा चरण माना जा रहा है।
कई लोगों के लिए कैंसर एक लाइलाज बीमारी है। इसका नाम सुनकर ही लोग सिहर उठते हैं। क्या आम और क्या खास, यह बीमारी हजारों लोगों की जिंदगी लील चुकी है। ऐसे में जो शरीर कैंसर के आगे लाचार हो जाता है, अगर वही इस बीमारी के सामने हथियार बन जाए तो? इस साल के नोबेल विजेताओं के रिसर्च के अनुसार शरीर के इम्यून सिस्टम में कैंसर से लड़ने की क्षमता है। बस इसे बढ़ाने की जरूरत है। इस तरह कैंसर थेरपी में एक नया सिद्धांत स्थापित हुआ है। डॉ. एलिसन और होन्जो ने अलग-अलग काम करते हुए 1990 में यह सिद्ध किया था कि कैसे शरीर में मौजूद कुछ प्रोटीन इम्यून सिस्टम के टी-सेल पर ‘ब्रेक’ का काम करते हैं और उन्हें कैंसर सेल्स से लड़ने से रोकते हैं। ऐसे प्रोटीन को निष्क्रिय करके उन सेल्स की कैंसर से लड़ने की क्षमता को बढ़ाया जा सकता है। इस तरह हमारा शरीर खुद ही कैंसर की दवा बन सकता है।