नई दिल्ली। ऐसे समय में जब अस्पतालों में इलाज लगातार महंगा होता जा रहा है, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को झारखंड की राजधानी रांची से बहुचर्चित ‘आयुष्मान भारत’ योजना को लॉन्च किया। प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना, दुनिया की सबसे बड़ी सरकारी हेल्थ स्कीम है। मोदी सरकार अपनी इस फ्लैगशिप स्कीम से शहरी और ग्रामीण इलाकों में रहनेवाले 10 करोड़ से ज्यादा परिवारों को स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराना चाहती है। नीति आयोग के सदस्य वीके पॉल ने बताया है कि पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जयंती पर 25 सितंबर से यह स्कीम प्रभावी हो जाएगी। माना जा रहा है कि नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली NDA सरकार के लिए यह योजना ‘मास्टरस्ट्रोक’ साबित हो सकती है। आइए समझते हैं कि 2019 के लोकसभा चुनाव और कई राज्यों के विधानसभा चुनावों से पहले लॉन्च की गई यह योजना कैसे एक बड़ा कदम है?
सरकार इस महत्वाकांक्षी योजना के जरिए 10 करोड़ गरीब परिवारों (या कहें तो करीब 50 करोड़ गरीबों) को 5 लाख रुपये का इंश्योरेंस कवर दे रही है। स्वतंत्रता दिवस पर अपने भाषण में मोदी ने इसकी घोषणा की थी। आनेवाले दिनों में यह निम्न मध्यम, मध्यम और उच्च मध्यम वर्ग को फायदा पहुंचाएगी। इसके साथ ही मेडिकल सेक्टर में नई नौकरियों के अवसर पैदा होंगे और टियर-2 व टियर-3 शहरों में नए अस्पताल खुलेंगे। मोदी के लिए यह स्कीम बड़ा गेमचेंजर हो सकती है क्योंकि इसे लोकसभा चुनावों से करीब 6 महीने पहले लॉन्च किया गया है। पूरी तरह से यह स्कीम गरीब ग्रामीण परिवारों और शहर में रहनेवाले गरीब कामगारों को समर्पित है। सामाजिक-आर्थिक जाति जनगणना 2011 डेटा के तहत देखें, तो इस स्कीम से 8.03 करोड़ ग्रामीण क्षेत्रों में रहनेवाले परिवार और शहरी इलाकों के 2.33 करोड़ परिवार लाभान्वित होंगे। ऐसे में यह आंकड़ा 50 करोड़ लोगों तक पहुंच सकता है। कोई भी खासतौर से महिलाएं, बच्चे और बुजुर्ग छूट न जाएं, यह सुनिश्चित करने की कोशिश की गई है। आयुष्मान भारत के तहत परिवार के सदस्यों की संख्या और उम्र पर कोई पाबंदी नहीं रखी गई है। यह स्कीम कैशलेस और पेपरलेस होगी।
आयुष्मान भारत योजना से फिलहाल खजाने पर हर साल करीब 5,000 करोड़ रुपये का बोझ बढ़ेगा। अगले साल पूरे देश में योजना लॉन्च होने से यह खर्च बढ़कर 10,000 करोड़ हो जाएगा। इस साल 8 करोड़ लोग इससे लाभान्वित हो सकते हैं जबकि 2020 तक टारगेट 10 करोड़ लोगों का है। पहले साल में कुल खर्च में से करीब 3,000 करोड़ केंद्र सरकार देगी। अब इस योजना के लॉन्च होने से 2008 में UPA सरकार के समय लॉन्च की गई राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना (RSBY) इसी में समाहित हो जाएगी। अंतरराष्ट्रीय रेटिंग एजेंसी मूडीज ने कहा है कि आयुष्मान भारत योजना इंश्योरेंस कंपनियों के लिए बड़ा ही सकारात्मक कदम है। इस स्कीम में गांव और शहरी गरीबों को टारगेट किया है और यह वोटबैंक मोदी के लिए काफी महत्वपूर्ण है। वैसे, बीजेपी पहले से ही मिडिल क्लास की पसंदीदा पार्टी मानी जाती रही है, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी अगला चुनाव जीतने के लिए गरीब वोटरों का समर्थन भी चाहते हैं। अगर यह योजना बिना किसी त्रुटि के लागू होती है तो बड़ा वोटबैंक मोदी की तरफ खिसक सकता है। यही वजह है कि केंद्र की ओर से इसे बड़े इवेंट की तरह लॉन्च किया गया। बीजेपी के बड़े नेता देशभर में घूम-घूमकर इस योजना के बारे में लोगों को बता रहे हैं। इस हेल्थ इंश्योरेंस स्कीम से ज्यादा से ज्यादा गरीबों के लाभान्वित होने से मोदी सरकार का वोटबैंक बढ़ सकता है। अब चुनाव में कुछ महीने ही बचे हैं, ऐसे में चुनावों में बीजेपी खुद को गरीबों की हितैषी पार्टी के रूप में भी प्रोजेक्ट करने की पूरी कोशिश करेगी। केंद्र की ओर से सभी राज्यों से कहा जा रहा है कि वे इस योजना से जुड़ें। देशभर में इसका जोर-शोर से प्रचार-प्रसार हो रहा है। आरोग्य मित्रों को यूनिफॉर्म दिए गए हैं, जो स्कीम के बारे में लोगों को जानकारी देंगे और हर तरह से मदद करेंगे। गांवों में भी प्रचार के लिए सरकारों से कहा गया है। ऐसे में विपक्ष के तमाम आरोपों के बीच गरीबों के फ्री इलाज की यह योजना मोदी सरकार के लिए चुनावों के लिहाज से काफी मददगार साबित हो सकती है।