काबुल,21 सितंबर। बंदूक की दम पर अफगानिस्तान की सत्ता हथियाने वाले तालिबान को अब उसी की भाषा में जवाब मिल रहा है। काबुल एयरपोर्ट पर हमला करने वाले आतंकी संगठन आइसिस खुरासान ग्रुप ने दावा किया है कि शनिवार को दो और रविवार को जलालाबाद में हुए फिदायीन हमले उसने ही कराए थे। इस ग्रुप के मुताबिक, इन हमलों में कुल मिलाकर 35 तालिबानियों की मौत हुई है।पिछले महीने के आखिर में काबुल के हामिद करजई इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर फिदायीन हमला भी इसी ग्रुप ने कराया था। संगठन ने धमकी दी है कि वो तालिबान को आगे भी निशाना बनाता रहेगा। तालिबान ने अब तक आइसिस खुरासान के इस दावे पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है ।
आइसिस खुरासान तालिबान के लिए बहुत बड़ी चुनौती बनकर उभर रहा है। खुरासान ग्रुप ने काबुल पर कब्जे के बाद ही साफ कर दिया था कि वो तालिबान के खिलाफ जंग जारी रखेगा और तालिबान को उसकी शर्तें माननी पड़ेंगी। दूसरी तरफ, तालिबान ने कहा था कि उसके लड़ाके खुरासान ग्रुप की हरकतों पर नजर रख रहे हैं और उसे माकूल जवाब दिया जाएगा। एयरपोर्ट पर हमले के बाद तालिबान ने यहां की सुरक्षा अपने स्पेशल दस्ते बदरी 313 के हवाले कर दी थी। इसके बाद से खुरासान ग्रुप देश के अंदरूनी हिस्सों में तालिबान के ठिकानों को निशाना बना रहा है। शनिवार और रविवार को जलालाबाद में एक के बाद एक तीन हमले हुए। आइसिस खुरासान का दावा है कि हमलों में 35 तालिबानी मारे गए जबकि 12 घायल हुए। इन हमलों में तालिबान की कई गाड़ियां भी तबाह हो गईं। माना जा रहा है कि तीनों ही फिदायीन हमले थे। खास बात यह है कि दो दिन बीत जाने के बावजूद अब तक तालिबान ने इन हमलों पर कोई रिएक्शन नहीं दिया है। जलालाबाद हर लिहाज से अफगानिस्तान का एक अहम शहर है। यह नांगरहार प्रांत की राजधानी होने के साथ ही ड्राय फ्रूट्स का एक बड़ा मार्केट भी है। माना जाता है कि पूरे अफगानिस्तान में आइसिस खुरासान का सबसे ज्यादा प्रभाव इसी प्रांत और राजधानी जलालाबाद में है।अफगानिस्तान से मिल रहीं मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया है कि आइसिस खुरासान के हमलावरों ने तालिबान के काफिले को निशाना बनाया। इनमें हथियारबंद तालिबान थे जो नांगरहार के अंदरूनी हिस्सों में गश्त के लिए जा रहे थे। कुछ रिपोर्ट्स में कहा गया है कि धमाके आईईडी ब्लास्ट के जरिए किए गए। कुछ में इन्हें ग्रेनेड अटैक बताया गया है। मारे गए लोगों में एक महिला भी शामिल है।
गौरतलब है कि आइसिस खुरासान का नाम उत्तरपूर्वी ईरान, दक्षिणी तुर्कमेनिस्तान और उत्तरी अफगानिस्तान में आने वाले क्षेत्र के नाम पर रखा गया है। यह संगठन सबसे पहले 2014 में पूर्वी अफगानिस्तान में सक्रिय हुआ। यहां से इसने बेरहमी और क्रूरता की पहचान बनाई। इस समूह ने हाल के कुछ वर्षों में पूर्वी अफगानिस्तान में अपनी मौजूदगी दर्ज कराई है। खासतौर से अफगानिस्तान के नंगरहार और कुनार प्रांतों में इसकी अच्छी पहुंच है। इस संगठन ने काबुल में स्लीपर सेल तैनात किए हैं, जिन्होंने 2016 से बड़ी संख्या में काबुल और उसके बाहर आत्मघाती हमलों को अंजाम दिया है। आइसिस और तालिबान दोनों ही कट्टर सुन्नी इस्लामिक आतंकी हैं, फिर भी दोनों एक दूसरे का विरोध करते हैं। आइसिस खुरासान और तालिबान के बीच कई मुद्दों पर असहमति है। आइसिस खुरासान ने तालिबान पर आरोप लगाया है कि उसने जिहाद और युद्ध का मैदान छोड़कर दोहा और कतर के बड़े होटलों में बैठकर शांति के समझौते किए हैं।
